2020 के राष्ट्रपति पद के लिए डेमोक्रेटिक उम्मीदवार की रेस में शामिल और कांग्रेस में पहली हिंदू अमेरिकी तुलसी गबार्ड ने विदेश नीति को लेकर रिपब्लिकन उम्मीदवार और पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप और उनके सलाहकारों से बात की है। गबार्ड का कहना है कि जीवन में मेरा मिशन अपने देश और अमेरिकी लोगों की सेवा करना और ऐसा करने में सक्षम होने का सबसे अच्छा तरीका ढूंढना है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार दोनों के बीच हुई चर्चा में 'नीतिगत प्रस्ताव, विदेशों में सैन्य उलझनें और ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में रक्षा विभाग को कैसे चलाया जाना चाहिए' जैसे विषय शामिल हैं। उन्होंने कहा कि यह चर्चा इस व्यापक बातचीत का हिस्सा है कि अगर लोग ट्रंप को दूसरा कार्यकाल के लिए चुनते हैं तो वह देश को अलग तरीके से कैसे संभालेंगे। रिपोर्ट में कहा गया है कि दोनों पिछले साल कम से कम एक बार व्यक्तिगत रूप से मिले थे।
तुलसी ने 2013 से 2020 तक सदन में सेवा की। खुद को हिंदू अमेरिकी बताने वालों और प्रधानमंत्री मोदी के साथ करीबी संबंध रखने वालों में उनके काफी फॉलोअर्स हैं। गबार्ड को हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन समेत कई हिंदू संगठनों का मजबूत समर्थन हासिल है।
कांग्रेस में शामिल होने से पहले हवाई आर्मी नेशनल गार्ड के लिए 2004 और 2005 के बीच इराक युद्ध में सेवा देने वाली गबार्ड लंबे समय से विदेशों में अमेरिकी हस्तक्षेप के आलोचक रही हैं। उन्होंने यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के लिए भी बाइडेन की असफल विदेश नीति को जिम्मेदार ठहराया। बताया गया है कि ट्रंप के सलाहकारों को उम्मीद है कि गबार्ड आम चुनाव में स्वतंत्र मतदाताओं से अपील कर सकती हैं और अपनी सैन्य नीतियों की वकालत कर सकती हैं।
पिछले हफ्ते उन्होंने एक न्यूज चैनल पर यह कहकर कई लोगों को आश्चर्यचकित कर दिया कि अगली उपराष्ट्रपति बनने को लेकर उन्होंने अपना विकल्प खुला रखा है। बता दें कि राष्ट्रपति पद की दौड़ के लिए जीओपी नामांकन हासिल करने की कोशिश कर रहे ट्रंप ने अभी तक अपने उपराष्ट्रपति पद के चयन की घोषणा नहीं की है। हालांकि मीडिया की अटकलें कई उम्मीदवारों को सामने ला रही हैं।
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