अमेरिका में न्यू जर्सी के होबोकेन शहर के मेयर रविंदर एस भल्ला ने ऐलान किया है कि वो 45 से ज्यादा चुनिंदा अफसरों, शहरों और देशभर के काउंटियों के एक ग्रुप के साथ मिलकर ट्रम्प प्रशासन के नेशनल इंस्टिट्यूट्स ऑफ हेल्थ (NIH) के रिसर्च फंडिंग में कटौती के फैसले को चुनौती दे रहे हैं।
मेयर ने मैसाचुसेट्स की एक फेडरल कोर्ट में दाखिल की गई एक अर्जी पर दस्तखत किए हैं। इस अर्जी में तर्क दिया गया है कि ये कटौती नाजायज, गैरकानूनी है। यह रिसर्च संस्थानों और मेडिकल प्रोग्रेस के लिए बेहद नुकसानदेह साबित होगी।
भल्ला ने एक्स (पहले ट्विटर) पर लिखा, 'अभी इलॉन मस्क और DOGE, NIH के रिसर्च फंडिंग में कटौती कर रहे हैं, जिसका असर सीधे होबोकेन पर पड़ रहा है। स्टीवंस इंस्टिट्यूट को 2022 से 11 मिलियन डॉलर मिले हैं। मेरे कार्यकाल में ऐसा नहीं चलेगा। मैं इसका विरोध कर रहा हूं और इन्हें रोकने के लिए एक नेशनल कोएलिशन में शामिल हो गया हूं।'
10 फरवरी तक NIH ने यूनिवर्सिटियों और मेडिकल संस्थानों को मिलने वाले इनडायरेक्ट रिसर्च कॉस्ट के रिइम्बर्समेंट में भारी कटौती कर दी है। पहले ये 70 फीसदी तक हुआ करता था, जो अब 15 फीसदी रह गया है। ये इनडायरेक्ट खर्चे, जैसे बिजली-पानी, ऑफिस स्पेस और एडमिनिस्ट्रेटिव सपोर्ट, मेडिकल और साइंटिफिक रिसर्च के लिए जरूरी ढांचे को बनाए रखने के लिए बहुत अहम हैं।
होबोकेन उन शहरों में शामिल है जो सीधे तौर पर इन कटौतियों से प्रभावित हैं, क्योंकि स्टीवंस इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी को NIH से लाखों डॉलर की ग्रांट मिलती है।
ट्रम्प प्रशासन ने अपने फैसले का बचाव करते हुए कहा है कि वो इनडायरेक्ट कॉस्ट के लिए रिइम्बर्समेंट रेट को 15 फीसदी तक सीमित कर रहे हैं, जो पहले औसतन 27 से 28 फीसदी था। ये NIH पॉलिसी राष्ट्रपति ट्रम्प की बड़ी कोशिशों का हिस्सा है। 20 जनवरी को फिर से पदभार संभालने के बाद से वो कुछ फेडरल खर्चों में कटौती और अमेरिकी सरकार के कुछ हिस्सों को खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं।
मेयर भल्ला ने एक बयान में कहा, 'हम पूरे देश के शहरों के साथ मिलकर इस गैरकानूनी हरकत को रोकने के लिए एकजुट हुए हैं। इससे नौकरियां जाएंगी, लैब्स बंद होंगी और वैज्ञानिक प्रगति कमजोर होगी। मैं अपने कॉलेज, UC बर्कले और बाकी सभी कॉलेजों और यूनिवर्सिटियों की तारीफ करता हूं जिन्होंने ट्रम्प एडमिनिस्ट्रेशन का डटकर मुकाबला करने की हिम्मत और नैतिक स्पष्टता दिखाई है। ऐसे समय में अमेरिका को इस तरह के नेतृत्व की जरूरत है ताकि वो मेडिकल और साइंटिफिक रिसर्च में दुनिया का लीडर बना रहे। ये कटौतियां इनोवेशन के लिए नुकसानदेह और जन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं।'
इस कोएलिशन में बोस्टन, सैन फ्रांसिस्को, बाल्टीमोर, सेंट लुइस, क्लीवलैंड और दूसरे बड़े शहरों के मेयर शामिल हैं। साथ ही अस्पताल, रिसर्च यूनिवर्सिटी और स्टेट अटॉर्नी जनरल भी शामिल हैं। इनका तर्क है कि शहरों में फेडरली फंडेड रिसर्च इंस्टिट्यूशन लाखों अमेरिकियों को रोजगार देते हैं और देश को वैज्ञानिक खोजों में आगे बनाए रखने में अहम भूमिका निभाते हैं।
बोस्टन के एक फेडरल जज ने NIH की पॉलिसी को रोकने के लिए एक अस्थायी रोक लगा दी है, जिसका मकसद पूरी फंडिंग बहाल करना और महत्वपूर्ण मेडिकल और वैज्ञानिक प्रगति में और रुकावटें आने से रोकना है। इस बीच, ट्रम्प प्रशासन ने NIH को फेडरल रजिस्टर में नए नोटिस पोस्ट करने से रोक दिया है, जिससे दिल की बीमारी, कैंसर, अल्जाइमर और एलर्जी जैसी बीमारियों के लिए लाखों डॉलर की रिसर्च ग्रांट पर फैसले टल रहे हैं। NIH को बड़े पैमाने पर कार्यबल में कमी का भी सामना करना पड़ा है। अब तक लगभग 1200 कर्मचारी कम हो चुके हैं।
वैज्ञानिकों का कहना है कि फंडिंग में कटौती और पाबंदियों से मेडिकल रिसर्च पूरी तरह से तबाह हो सकती है। बोस्टन में एक फेडरल जज अभी इस बात की समीक्षा कर रहा है कि क्या NIH की सीमा लागू की जा सकती है या नहीं। आने वाले हफ्तों में, मेयर भल्ला का प्रशासन होबोकेन सिटी काउंसिल के सामने एक प्रस्ताव पेश करने का इरादा रखता है जिससे आधिकारिक तौर पर शहर की भागीदारी को अमिकस ब्रीफ में शामिल किया जा सके।
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