अमेरिका की ह्यूस्टन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं को नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (NIH) से 3.2 मिलियन डॉलर का महत्वपूर्ण शोध अनुदान मिला है। यह अनुदान बच्चों में होने वाले एक दुर्लभ और गंभीर Rhabdomyosarcoma (RMS) नाम के कैंसर से लड़ने के लिए दिया गया है।
इस शोध की अगुआई ड्रग डिस्कवरी के प्रोफेसर अशोक कुमार कर रहे हैं। वह विश्वविद्यालय में Else and Philip Hargrove Endowed Professor हैं। यूएच कॉलेज ऑफ फार्मेसी में इंस्टीट्यूट ऑफ मसल बायोलॉजी एंड कैशेक्सिया के निदेशक भी हैं।
प्रो अशोक कुमार की टीम इस कैंसर को फैलने से रोकने के लिए TAK1 नामक एक प्रमुख प्रोटीन पर काम कर रही है। इस शोध का उद्देश्य RMS ट्यूमर की वृद्धि को रोककर मरीजों की जीवन की उम्मीद बढ़ाना है।
RMS के बारे में बताएं तो बचपन में होने वाले कुल कैंसर मामलों में से 8 प्रतिशत इसी के होते हैं। मेटास्टेटिक यानी फैलने वाले मामलों में इसके मरीजों की जीने की उम्मीद सिर्फ 20-30% ही रहती है। प्रो. कुमार इस बीमारी को जड़ से खत्म करने के लिए कोशिका स्तर पर काम कर रहे हैं।
शोध में TAK1 यानी ट्रांसफॉर्मिंग ग्रोथ फैक्र बीटा एक्टिवेटेड Kinase 1 को एक प्रमुख घटक के रूप में पहचाना गया है। शुरुआती नतीजे बताते हैं कि यह प्रोटीन अत्यधिक सक्रिय होता है जिससे कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से विभाजित हो जाती हैं और सामान्य मांसपेशी कोशिकाओं में परिपक्व नहीं हो पातीं।
RMS प्रमुख रूप से दो तरह का होता है। एंब्रायोनल RMS छोटे बच्चों के सिर, गर्दन या जननांगों में अधिक पाया जाता है। वहीं एल्यूलर RMS किशोरों के हाथ-पैरों में विकसित होता है और अधिक आक्रामक होता है।
लैब और पशु मॉडल पर शोध से पता चला है कि TAK1 को ब्लॉक करके जेनेटिक और फार्मा कोलॉजिकल तरीकों से RMS कोशिकाओं की वृद्धि को रोका जा सकता है।
प्रो. कुमार ने कहा कि हमारा लक्ष्य आरएमएस की वृद्धि को रोकने वाले प्रमुख जैविक सिस्टम और मॉलिक्यूलर लक्ष्यों की पहचान करना है ताकि भविष्य में अधिक प्रभावी उपचार विकसित किए जा सकें।
यदि यह शोध सफल रहा तो TAK1 को टारगेट करके RMS के लिए एक नया और प्रभावी उपचार तैयार किया जा सकता है। यह उन बच्चों के लिए नई उम्मीद हो सकती है जो इस जानलेवा बीमारी से जूझ रहे हैं।
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