अश्विन रामास्वामी (24) जॉर्जिया स्टेट सीनेट के लिए चुनाव लड़ने वाले पहले भारतीय-अमेरिकी जेन जेड (( यानी सहस्त्राब्दी के बाद की पीढ़ी, मोटे तौर पर 1995-2010 में जन्म लेने वाले) उम्मीदवार हैं। न्यू इंडिया अब्रॉड (NIA) के साथ एक इंटरव्यू में रामास्वामी ने अपनी भारतीय विरासत, अपने राजनीतिक अभियान और भारतीय-अमेरिकी समुदाय से मिलने वाले समर्थन के बारे में बात की।
दूसरी पीढ़ी के अप्रवासी अश्विन पेशे से इंजीनियर हैं। उन्होंने सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग, चुनाव सुरक्षा और प्रौद्योगिकी कानून तथा नीति अनुसंधान के क्षेत्र में अपना करियर बनाया है। रामास्वामी ने जॉर्जिया टेक, स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी और जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी लॉ सेंटर में पढ़ाई की है। अश्विन ने कई पहल की हैं। इन्हीं में से एक है धार्मिक कानून छात्र संगठन की स्थापना जिसमें हिंदू, बौद्ध, सिख और जैन छात्रों के लिए कार्यक्रम हैं। ) स्वामी ने एक बंदोबस्ती (एंडोमैंट) स्थापित करने के लिए 100K अमेरिकी डॉलर जुटाने में भी मदद की है।
अश्विन ने दिसंबर, 2023 में जॉर्जिया राज्य सीनेट के लिए अपनी उम्मीदवारी की घोषणा की थी। युवा डेमोक्रेट उम्मीदवार स्वामी 48वें जिले का प्रतिनिधित्व करना चाहते हैं जिसमें जॉन्स क्रीक के कुछ हिस्से, सुवेनी, अल्फारेटा, कमिंग, शुगर हिल और बुफोर्ड शामिल हैं। जॉन्स क्रीक में उनका जन्म और पालन-पोषण भी हुआ। रिपब्लिकन सीनेटर शॉन अब भी इस सीट पर काबिज हैं और दोबारा चुनाव मैदान में हैं।
समान अवसरों के समर्थक हैं अश्विन
मुझे अपने समुदाय से जो हासिल हुआ उसे वापस लौटाने के लिए ही मैं राज्य सीनेट के लिए चुनावी दौड़ में हूं। मैं जॉन्स क्रीक, जॉर्जिया से हूं जो अटलांटा का एक उपनगर है। मुझे वहां जो कुछ मिला है उससे मुझे बहुत लाभ हुआ। शिक्षा, संसाधन, समुदाय यानी सब कुछ। मैं यह सुनिश्चित करना चाहता हूं कि सभी को समान अवसर मिलें। चाहे वह शिक्षा हो, आर्थिक अवसर हों या स्वास्थ्य देखभाल और प्रजनन अधिकारों तक पहुंच की बात हो। रामास्वामी ने अपनी मुख्य प्राथमिकताओं में अर्थव्यवस्था को बढ़ाना, शिक्षा प्रणाली को वित्तपोषित करना, शिक्षकों के लिए भुगतान बढ़ाना, सार्वजनिक सुरक्षा और भलाई तथा वोट देने के अधिकार की रक्षा करना शामिल किया है।
गौरव से भरे अप्रवासी माता-पिता का बेटा
रामास्वामी कहते हैं कि सीनेट के लिए चुनाव लड़ने के बारे में सबसे पहले माता-पिता को पता चला। कहते हैं न...मातृ देवो भव, पितृ देवो भव। हमारे माता-पिता हमारे लिए भगवान हैं। मैंने सबसे पहले उन्हें सूचित किया क्योंकि वे हमेशा मेरे मार्गदर्शक रहे हैं और वे ही लोग हैं जिन्होंने मुझे आज यहां तक पहुंचने में मदद की है। स्वामी बताते हैं कि जब माता-पिता को मेरे चुनाव लड़ने की बात पता चली तो उन्हे बड़ा फख्र हुआ। उन्होंने मुझे आशीर्वाद दिया। वह बताते हैं कि उनके माता-पिता दक्षिण भारतीय राज्य तमिलनाडु से हैं। पिता कोयम्बटूर और मां चेन्नई से। दोनों 90 के दशक में अमेरिका आ गये थे। शुरुआत में उन्होंने IT इंडस्ट्री में काम किया। वे ज्यादातर समय अटलांटा में रहे।
लोग चाहते हैं राजनीति में आएं युवा
स्वामी कहते हैं कि लोग चाहते हैं कि युवा राजनीति में आएं क्योंकि उनके पास नए विचार हैं और काम को करने की पर्याप्त ऊर्जा भी। लोग चाहते हैं कि केवल उम्रदराज ही राजनीति में न रहें। राजनीति केवल पुराने लोगों का काम नहीं है। यहां बसे भारतीय-अमेरिकियों की पहली पीढ़ी चाहती है कि अब दूसरी पीढ़ी के लोग राजनीति में जाकर देश और समुदाय की सेवा करें।
स्वामी ने बताये अपने भारतीय पहलू
मैं अमेरिकी हूं लेकिन मेरे अंदर कई भारतीय पहलू हैं। मैं तमिल सीखते हुए बड़ा हुआ हूं। इसलिए मैं तमिल स्कूल गया और मैं बाल विहार भी गया। यह एक संडे स्कूल जैसा कार्यक्रम है जहां मैं जाऊंगा और भारतीय संस्कृति के इतिहास और हिंदू दर्शन के बारे में भी सीखूंगा। मैंने छोटी उम्र में ही वैदिक मंत्रोच्चार शुरू कर दिया था और बड़े होते हुए मैं कई मंदिरों में गया जिससे मुझे भारतीय संस्कृति के बारे में पता चला।
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