प्रतिनिधि प्रमिला जयपाल ने एशियाई अमेरिकियों, मूल हवाईयन और प्रशांत द्वीपवासियों (AANHPI) के विरासत माह के समापन अवसर पर अप्रवासन व्यवस्था में सुधार की मांग दोहराई है। इसकी शुरुआत उन्होंने भारत से अप्रवासन की अपनी यात्रा को साझा करते हुए की। जयपाल ने X पर एक वीडियो पोस्ट में कहा कि मैंने एक जटिल आव्रजन प्रणाली को नेविगेट (पार) किया है।
जयपाल केवल 16 साल की उम्र में अकेले ही अमेरिका आई थीं। तब उनके माता-पिता ने उन्हें अपने अमेरिकी सपने को पूरा करने के लिए महज 5,000 डॉलर दिए थे। अपनी क्षमता और अमेरिका द्वारा प्रदान किए जा सकने वाले अवसरों में अपने विश्वास पर जोर देते हुए प्रमिला कहा कि उन्होंने (माता-पिता ने) अपने बच्चे के बजाय एक अलग महाद्वीप पर रहने का सर्वोच्च बलिदान दिया।
दो दशक पहले अमेरिकी नागरिकता प्राप्त करने के बाद जयपाल ने अपने मतदाताओं का प्रतिनिधित्व करने और कांग्रेस में सेवा करने में अपना गौरव रेखांकित किया। जयपाल ने कहा कि आज अपनी नागरिकता प्राप्त करने के दो दशक से अधिक समय बाद मैं प्रतिनिधि सभा के लिए चुनी गई पहली दक्षिण एशियाई अमेरिकी महिला के रूप में कांग्रेस में सेवा करने वाले केवल दो दर्जन प्राकृतिक नागरिकों में से एक के रूप में आपसे बात कर रही हूं।
कांग्रेस प्रतिनिधि ने कहा कि आव्रजन उपसमिति के रैंकिंग सदस्य के रूप में मैंने अप्रवासी समुदायों को वापस देने और यह सुनिश्चित करने के लिए संघर्ष किया है कि उनके अधिकार हमेशा सुरक्षित रहें। जयपाल के प्रयासों में एएपीआई स्वास्थ्य में सुधार के लिए नीतियों को बढ़ावा देना, नागरिक स्वतंत्रता की रक्षा करना और न्याय की वकालत करना तथा एक मानवीय अप्रवासन प्रणाली विकसित करना शामिल है।
उन्होंने एएपीआई समुदाय के भीतर एकजुटता और अपनी बातें साझा करने के आह्वान के साथ अपनी बात समाप्त की। जयपाल ने कहा कि मैं हमेशा उन सभी लोगों की मदद करने के लिए काम करने जा रही हूं जो अमेरिकी सपने को हासिल करना चाहते हैं, जैसा कि मैंने किया था।
जयपाल ने जोर देकर कहा कि एक अप्रवासी होना इस बात का हिस्सा है कि मैं कौन हूं। यह ऐसी चीज है जिस पर मुझे अविश्वसनीय रूप से गर्व है। अमेरिका को अप्रवासियों ने बनाया था। हमारे बिना यह देश रुक जाएगा। तो आइए हम सब अपनी कहानियां साझा करना जारी रखें, एक साथ खड़े रहें और AAPI प्यार फैलाएं। AANHPI विरासत माह की शुभकामनाएं।
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