इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (IIIT) हैदराबाद ने हाल ही में संस्थान के रजत जयंती समारोह के दौरान असाधारण सेवा के लिए आठ पूर्व छात्रों को सम्मानित किया। इन इनमें भारतीय-अमेरिकी सुभाष कारी और मनोहर पालुरी भी हैं जिन्हें उत्कृष्ट सेवा पुरस्कार प्रदान किया गया।
सुभाष कारी 1998 के पहले बैच के छात्र हैं। उन्होंने संस्थान के लिए योगदान देने वाले एलुमनाई फंड बनाने और उसे मैनेज करने में अहम भूमिका निभाई है। संस्थान ने कहा कि सुभाष के प्रयासों से खासकर बे एरिया में उनके योगदान ने पूर्व छात्रों के आपसी संबंधों को मजबूत किया है और आंत्रप्रेन्योर इकोसिस्टम को बढ़ावा दिया है।
गूगल गिव प्रोग्राम के माध्यम से पिछले साल अच्छा योगदान जुटाने वाले सुभाष कारी ने कहा कि संस्थान के पहले बैच का सदस्य होने के नाते फैकल्टी का हमारे लिए एक विशेष स्थान है क्योंकि जब हम IIITH में शामिल हुए थे, तब इसका ज्यादा बडा नाम नहीं था। लेकिन हमें पता था कि आगे कुछ बड़ा होने वाला है।
2002 के पूर्व छात्र और मेटा (एआई) के वाइस प्रेसिडेंट मनोहर पालुरी वैश्विक स्तर पर आईआईआईटी हैदराबाद के शोध कार्यों को बढ़ावा देने में शामिल रहे हैं। कंप्यूटर विजन में उनके कार्य और पालुरी फाउंडेशन के जरिए उनकी परोपकारी प्रतिबद्धता ने संस्थान के शैक्षणिक एवं अनुसंधान विकास में अहम योगदान दिया है। पालुरी ने अपनी जिंदगी में संस्थान के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि IIITH में मैंने जो मूल्य सीखे हैं, वे मेरे करियर के लिए काफी महत्वपूर्ण रहे हैं।
संस्थान के प्रथम अध्यक्ष डॉ. राज रेड्डी ने संस्थान के भविष्य को आकार देने में पूर्व छात्रों के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि संस्थान के पूर्व छात्र ही हमारी असल निधि हैं। जो चीज इन पूर्व छात्रों को अलग करती है, वह है संस्थान के विचारों और आदर्शों में उनका निवेश जिसने उन्हें ढाला हैं।
IIITH के गवर्निंग काउंसिल के चेयरमैन प्रोफेसर अशोक झुनझुनवाला ने संस्थान की उन्नति में पूर्व छात्रों की भूमिका पर जोर देते हुए कहा कि पूर्व छात्रों का यह दायित्व होता है कि वे अपने मूल संस्थान को सहयोग दें और देश का शीर्ष संस्थान बनने में मदद करें।
डायरेक्टर पी.जे. नारायणन ने कहा कि पूर्व छात्र हमारे राजदूत हैं। उनकी उपलब्धियां संस्थान की इमेज बनाती हैं। हमारी इच्छा है कि असाधारण उपलब्धि हासिल करने वाले पूर्व छात्रों को वर्तमान छात्रों से जोड़ा जाए ताकि वे उनके अनुभवों का लाभ उठा सकें।
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