एक भारतीय दंपत्ति ने अमेरिका में एजुकेशन और नौकरी पूरी करने के बाद भारत लौटने की पहली वर्षगांठ हाल ही में मनाई। आईआईटी के स्टूडेंट रहे नायरहित और ऋषिता ने एक्स पर एक पोस्ट में अमेरिका से भारतवापसी पर विचार कर रहे अन्य लोगों को अपने अनुभव बताए। उन्होंने भारत और अमेरिका में जीवन के दस प्रमुख अंतर भी बताए।
मुख्य रूप से 20 से 40 साल के भारतीय पेशेवरों के लिए इस पोस्ट में कपल ने बताया कि सबसे पहली सहूलियत उन्हें डोमेस्टिक हेल्प यानी घरेलू काम करने वाले लोगों के रूप में मिली। उन्होंने बताया कि भारत में सस्ते काम करने वाले तो हैं ही, साथ ही मेड रखने से आपको हफ्ते में 15-20 घंटे फुर्सत के लिए मिल जाते हैं, जो कि अमेरिका में रहते हुए मुमकिन नहीं था।
उन्होंने कहा कि भारत में ट्रैफिक कभी कभी अनप्रिडिक्टेबल और फ्रस्टेटिंग होता है। हालांकि न्यूयॉर्क और सैन फ्रांसिस्को जैसे बड़े अमेरिकी शहरों की तुलना में देखें तो भारत में ट्रैफिक इतना भी बुरा नहीं है।
कपल का कहना है कि डिजिटल सुविधाओं के मामले में भारत अमेरिका से कहीं आगे निकल चुका है। आपको मिनटों के अंदर सामान की सुपरफास्ट डिलीवरी मिल जाती है। अमेरिका में इंस्टाकार्ट और डोरडैश है लेकिन भारत में इंट्रा सिटी लॉजिस्टिक्स कहीं बेहतर और कुशल है।
भारत और अमेरिका में सांस्कृतिक अंतर का जिक्र करते हुए दंपति ने कहा कि अमेरिका में हमें लोगों के साथ गहरे संबंध बनाने में काफी मुश्किल हुई। कई बार सोशल इंटरेक्शन के बावजूद संबंध प्रोफेशनल या कैजुअल से आगे नहीं बढ़ पाते थे।
कपल ने भारत के डिजिटल पेमेंट इन्फ्रास्ट्रक्चर की भी जमकर तारीफ की है। वैसे तो ऐप्पल पे और यूपीआई एकजैसा यूजर एक्सपीरियंस देते हैं, लेकिन भारत में यूपीआई को सरकारी सपोर्ट मिला है जिसकी वजह से बिना किसी ट्रांजेक्शन फीस के फटाफट पेमेंट हो जाता है। अमेरिका में ये सुविधा नहीं है।
हालांकि दंपति अमेरिका में बिना लाइन वाली व्यवस्था को याद करते हैं। भारत में काउंटरों और पब्लिक प्लेस पर लंबी लाइनें निराशाजनक अनुभव देती हैं।
फूड के मामले में भी दोनों देशों के कल्चर में अंतर है। नायरहित और ऋषिता ने भारत में व्यंजनों की विविधता पर खुशी जताई, साथ ही अमेरिका में पनीर और डेसर्ट की विविधता को भी याद किया।
दोनों का कहना हैकि बाहर घूमने के लिए अमेरिका में काफी विकल्प उपलब्ध हैं। आप लंबी हाइकिंग, बाइकिंग कर सकते हैं। समुद्र तट के भी कई विकल्प मौजूद हैं। उसकी तुलना में भारत में विकल्पों की कमी है।
दंपति का कहना है कि भारत में समलैंगिकों की स्वीकार्यता भी एक मुद्दा है। इस मामले में यहां अभी भी लंबा रास्ता तय करना बाकी है। शहरी क्षेत्रों में थोड़ी स्थिति बेहतर है लेकिन मेनस्ट्रीम इंडिया में इसे लेकर अब भी हिचक है। हालांकि आने वाले वर्षों में हालात में बदलाव की उम्मीद है।
कपल का कहना है कि जॉब मार्केट दोनों ही देशों में एक चुनौती बना हुआ है। वैसे तो अब भारत में भी अच्छी नौकरियां उपलब्ध हैं, लेकिन अमेरिका में लाइफस्टाइल मेनटेन करने वाली अच्छी नौकरी हासिल करना उतना आसान नहीं है।
बता दें कि ऋषिता ने टेक्सास एएंडएम यूनिवर्सिटी से पीएचडी करने के बाद न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी में पोस्ट डॉक्टरल रिसर्च भी की है। ऋषिता भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) बैंगलोर के एयरोस्पेस इंजीनियरिंग विभाग में टेन्योर ट्रैक असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में अपनी लैब भी शुरू कर रही हैं।
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