राजनेताओं और राजनीति के काम करने के तरीकों की थाह लगाना वाकई नामुमकिन है। कनाडा में जस्टिन ट्रूडो सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव गिरने को 24 घंटे भी नहीं बीते कि हाउस ऑफ कॉमन्स में एक फिर से इस बात को लेकर डिबेट शुरू हो गई कि ट्रूडो के नेतृत्व वाली अल्पसंख्यक लिबरल सरकार को सत्ता में रहना चाहिए या नहीं।
कंजर्वेटिव्स ने हाउस ऑफ कॉमन्स में फिर से नया अविश्वास प्रस्ताव पेश कर दिया है। इसमें दावा किया गया है कि सदन को अब सरकार में विश्वास नहीं रहा है। ये अविश्वास प्रस्ताव कनाडाई लोगों के सामने टैक्स घटाने, घर बनाने, बजट तय करने और अपराध रोकने का विकल्प प्रदान करता है। यह दूसरा अविश्वास प्रस्ताव सदन के हंगामेदार सत्र के दूसरे दिन पेश किया गया है। पियरे पोइलीवेरे ने खुद प्रस्ताव पेश नहीं किया बल्कि पार्टी के उप विपक्षी सदन के नेता ल्यूक बर्थोल्ड ने इस बार पहल की है।
दिलचस्प बात यह है कि मंगलवार को जब सदन में पहला अविश्वास प्रस्ताव पेश किया गया था, तब प्रधानमंत्री ट्रूडो सदन में मौजूद नहीं थे। जब ट्रूडो सरकार के खिलाफ तीन दिनों में रिकॉर्ड दूसरा अविश्वास प्रस्ताव आया है तो विपक्ष के नेता मंच के पीछे खडे नजर आ रहे हैं। पहला अविश्वास प्रस्ताव गिरने के बाद और एनडीपी या ब्लॉक क्यूबेकोइस के रुख में बदलाव न होने की वजह से दूसरे अविश्वास प्रस्ताव को भी बहुमत मिलने की संभावना नहीं है।
ब्लॉक क्यूबेकोइस ने लिबरल्स को अल्टीमेटम दिया है कि वे 29 अक्टूबर तक पेंशनभोगियों के वर्गीकरण को करें, अगामी व्यापारिक सौदों में डेयरी, अंडे और पोल्ट्री जैसे एग्री क्षेत्रों की रक्षा करें। ब्लॉक नेता येव्स-फ्रांस्वा ब्लैंचेट पहले ही कह चुके हैं कि अगर संघीय सरकार ने इन मांगों को पूरा नहीं किया तो हम समय से पहले चुनाव पर जोर देंगे।
एनडीपी और ब्लॉक क्यूबेकोइस का समर्थन न मिलने की वजह से अगर दूसरा अविश्वास प्रस्ताव भी खारिज हो जाता है, तब भी कंजर्वेटिव्स के पास क्रिसमस से पहले अविश्वास प्रस्ताव पेश करने के तीन और अवसर होंगे। खर्च से संबंधित मामलों पर मतदान के जरिए भी लिबरल सरकार को गिराया जा सकता है। इसे भी आमतौर पर विश्वास मत माना जाता है।
कनाडा चूंकि संसदीय लोकतंत्र की वेस्टमिंस्टर प्रणाली का पालन करता है इसलिए प्रधानमंत्री और उनकी सरकार को पद पर बने रहने के लिए सांसदों के बहुमत की आवश्यकता होती है। प्रधानमंत्री ट्रूडो और उनके मंत्रिमंडल को अगर सत्ता में बने रहना है तो प्रमुख विपक्षी दलों में से एक का दिल जीतना होगा।
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