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कनाडा: अनीता आनंद ने फेडरल चुनाव न लड़ने का फैसला बदला, ये वजह बताई

अनीता आनंद ने कहा कि अमेरिका के साथ चल रहे टैरिफ वॉर और आर्थिक चुनौतियों को देखते हुए उन्होंने अपना फैसला बदला है।

अनीता को लिबरल पार्टी लीडरशिप और प्रधानमंत्री पद का मजबूत उम्मीदवार माना जा रहा था। / X @AnitaAnandMP

कनाडा की ट्रांसपोर्ट मंत्री और ट्रेजरी बोर्ड की प्रेसिडेंट अनीता आनंद ने पहले ऐलान किया था कि वह 2025 का फेडरल चुनाव नहीं लड़ेंगी, लेकिन अब उन्होंने मन बदल लिया है। उन्होंने घोषणा की है कि वह अगले चुनाव में हिस्सा लेंगी और कनाडा की जनता की सेवा करती रहेंगी।  

आनंद ने कहा कि अमेरिका के साथ चल रहे टैरिफ वॉर और आर्थिक चुनौतियों को देखते हुए, उन्होंने यह फैसला लिया है। उन्होंने "कनाडा फर्स्ट" के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हुए कहा कि वह देश के लिए काम करना जारी रखेंगी।  

कनाडा में भारतीय मूल की पहली डिफेंस मिनिस्टर रहीं अनीता आनंद ने साल की शुरुआत में चुनाव न लड़ने का ऐलान करते हुए कहा था कि वह एकेडमिक्स में वापस जाना चाहती हैं। जस्टिन ट्रूडो के पद छोड़ने की घोषणा के बाद अनीता को लिबरल पार्टी लीडरशिप और प्रधानमंत्री पद का मजबूत उम्मीदवार माना जा रहा था।

ट्रूडो ने अपनी सरकार के खिलाफ बार बार अविश्वास प्रस्ताव लाए जाने के बाद यह ऐलान किया था। हालांकि ट्रूडो ने हाउस ऑफ कॉमन्स को 24 मार्च तक स्थगित करवा दिया है ताकि लिबरल पार्टी अपना नया नेता चुन सके। लिबरल पार्टी लीडरशिप की रेस में मार्क कार्नी, फ्रैंक बेलिस, क्रिस्टिया फ्रीलैंड और करीना गोल्ड चार उम्मीदवार हैं। पार्टी का नया नेता 9 मार्च तक चुना जाएगा।  

इधर 2025 का फेडरल चुनाव नहीं लड़ने वाले सांसदों की संख्या बढ़ती जा रही है। भारतीय मूल के तीन कैबिनेट मंत्री अनीता आनंद, हरजीत सज्जन और अरिफ वीरानी भी इस सूची में शामिल थे। हालांकि, अनीता आनंद ने अब अपना फैसला बदल लिया है और एटोबिकोक से चुनाव लड़ने का ऐलान किया है।  

अनीता आनंद ने सोशल मीडिया पर लिखा कि कनाडा अपने इतिहास के एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है। जनवरी में मैंने पब्लिक लाइफ से दूर जाने का फैसला किया था, लेकिन अब मैं अगले फेडरल चुनाव में हिस्सा लेने और देश की सेवा जारी रखने के लिए तैयार हूं।

उन्होंने आगे कहा कि मैं पिछले सात हफ्तों से कनाडा-अमेरिका के मुद्दों पर काम कर रही हूं और अंतर प्रांतीय ट्रेड बैरियर्स को कम करने में जुटी हूं। मेरी मां के शब्द आज मेरे कानों में गूंज रहे हैं, जो कहती थीं- तुम्हें अपने देश की सेवा करनी चाहिए।
 

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