न्यूयॉर्क में भारत के निवर्तमान डिप्टी कौंसुल जनरल डॉ. वरुण जेफ ने अपने विदाई भाषण में अपने कार्यकाल की यादें साझा कीं। उन्होंने उस चुनौतीपूर्ण शुरुआत को भी याद किया, जब वे पहली बार न्यूयॉर्क पहुंचे थे।
उन्होंने कहा कि जब मैं न्यूयॉर्क पहुंचा था, शहर कोरोना महामारी से उबर रहा था और उसी दिन साइक्लोन इडा ने तबाही मचाई थी। वह दिन बेहद कठिन था, फोन लगातार बज रहे थे, इमरजेंसी मैसेज आ रहे थे। हर तरफ अनिश्चितता थी। उन्हें आशंका थी कि कहीं उनका कार्यकाल ऐसा ही न हो, एक तूफान की तरह, एक अनिश्चित सफर। लेकिन यह एक रोमांचक सफर साबित हुआ।
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अपने कार्यकाल के दौरान वरुण जेफ ने भारत-अमेरिका संबंधों में उल्लेखनीय प्रगति को देखा। जब उन्होंने पदभार संभाला था, तब दोनों देशों के बीच व्यापार मात्र 28 अरब डॉलर था, जो अब बढ़कर 200 अरब डॉलर हो गया है और 2030 तक 500 अरब डॉलर तक पहुंचने की राह पर है।
जेफ ने अमेरिका में भारतीय समुदाय के विस्तार को गौरव का पल बताते हुए कहा कि पहले भारतीयों की संख्या 16 लाख थी, अब यह 55 लाख हो चुकी है। भारतीय छात्रों की संख्या भी सात गुना बढ़कर 3.5 लाख तक पहुंच गई है।
डॉ. जेफ ने भारतीय संस्कृति और व्यवसायों की अमेरिका में बढ़ती उपस्थिति का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था कि भारत आज दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है और जल्द ही तीसरे स्थान पर पहुंचने की राह पर है।
उन्होंने गर्व के साथ भारतीय त्योहारों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का उल्लेख किया जिसमें न्यूयॉर्क के टाइम्स स्क्वायर में गरबा मनाने से लेकर 75वें स्वतंत्रता दिवस समारोह तक भारतीय समुदाय की सक्रिय भागीदारी रही थी।
वरुण जेफ की विदाई के अवसर पर जयपुर फुट यूएसए के चेयरमैन प्रेम भंडारी ने उनकी सेवाओं की भूरि-भूरि प्रशंसा की। भंडारी ने कहा कि उन्होंने अपने जीवन में कई विदाई समारोह देखे हैं, लेकिन यह पहली बार था जब किसी राजनयिक को इतनी भावनात्मक विदाई दी गई। यह एक ऐतिहासिक पल था जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आवास से भी प्रतिनिधि शामिल हुए थे।
भारतीय-अमेरिकी व्यवसायी और ग्रैमी विजेता चंद्रिका टंडन ने भी जेफ के प्रयासों को सराहा। उन्होंने कहा कि कौंसुल जनरल बिनय प्रधान के साथ मिलकर डॉ. जेफ ने जो कार्य किए, वे हमेशा याद रहेंगे। विदाई समारोह में भारतीय समुदाय के सदस्यों ने भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया।
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