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ओलंपिक हॉकीः भारत के सामने अब कांस्य पदक और अपना रुतबा बचाने की चुनौती

गुरुवार को कांस्य पदक के लिए स्पेन के साथ मुकाबले से पहले भारतीय टीम प्रबंधन को अच्छी रणनीति बनानी होगी। उसके पास अपने विरोधियों के अप्रत्याशित गेम प्लान का मुकाबला करने की योजना होनी चाहिए।

दूसरे सेमीफाइनल में भारत को जर्मनी के हाथों 3-2 से हार का सामना करना पड़ा। / X @OlympicKhel

पेरिस ओलंपिक में हॉकी के दूसरे सेमीफाइनल में भारत को विश्व चैंपियन जर्मनी के हाथों करारी हार का सामना करना पड़ा। 44 साल के बाद भी भारत ओलंपिक हॉकी के फाइनल में जगह बनाने में नाकाम रहा। अब भारतीय टीम तोक्यो में जीते कांस्य पदक का बचाव करने के लिए गुरुवार को स्पेन के खिलाफ मैदान में उतरेगी।

भारत ने पहले क्वार्टर फाइनल में ग्रेट ब्रिटेन को 3-2 से हराया था लेकिन सेमीफाइनल में जर्मनी के खिलाफ अपने भरोसेमंद डीप डिफेंडर और ड्रैग-फ्लिकर अमित रोहिदास की गैरमौजूदगी का नुकसान झेलना पड़ा। 43 मिनट तक 10 खिलाड़ियों के साथ एक दुर्जेय प्रतिद्वंद्वी के खिलाफ खेलने, बचाव करने और जीतने की भावना काफी मनमोहक थी।

लेकिन ऐसे कारनामों को दोहराना आसान नहीं है। भारत और जर्मनी के बीच दूसरे सेमीफाइनल से यह स्पष्ट भी हो गया। भारत को मौके भी अधिक मिले। भारत को 11 पेनल्टी कॉर्नर मिले जबकि जर्मनी को सिर्फ चार। मैदान पर भी उसकी अच्छी पकड़ थी। हालांकि इस सबका फायदा नहीं हुआ और भारत क्वार्टर फाइनल में मिली जीत को दोहराने में नाकाम रहा।

प्रतिस्पर्धी खेलों में बचाव के बजाय हमले को ज्यादा बेहतर माना जाता है। जर्मनों को हॉकी के सर्वश्रेष्ठ रणनीतिकारों में से एक माना जाता है। उन्होंने गेम प्लान को समझा और आखिरी सीटी बजने से छह मिनट पहले मैच को निर्णायक मोड़ तक ले जाने में कामयाब रहे। उसके बाद मैच पर अपनी पकड़ बनाए रखी। वहीं भारत ने कई मौके गंवाए। फिर बी यह एक अच्छी तरह से लड़ा गया मैच कहा जा सकता है।

अमित रोहिदास की अनुपस्थिति में भारत जर्मनी की विशिष्ट खेल रणनीति का सामना नहीं कर पाया जिसने गोंजालो पेइलाट का इस्तेमाल करके पेनल्टी कार्नर हासिल किए। गोंजालो ने चार अवसरों को गोल में बदलकर बाजी पलट दी। 

अब गुरुवार को कांस्य पदक के लिए स्पेन के साथ मुकाबले से पहले भारतीय टीम प्रबंधन को अच्छी रणनीति बनानी होगी। उसके पास अपने विरोधियों के अप्रत्याशित गेम प्लान का मुकाबला करने की योजना होनी चाहिए। उसे मैन-टू-मैन और ज़ोन मार्किंग के साथ पूरा टीमवर्क करने की जरूरत है। आक्रामक हॉकी के लिए मशहूर टीम के खिलाफ खेलते हुए स्कोरिंग के अवसरों का सदुपयोग करना और विरोधियों को विफल करना काफी महत्वपूर्ण होगा।

टीम इंडिया अगर कांस्य पदक जीतने में कामयाब रहती है तो यह उसके लिए बड़ी सांत्वना होगी। अब तक के मैचों में उसने सराहनीय प्रदर्शन किया है। अमित रोहिदास प्रकरण और थोड़ी की किस्मत के फेर ने उसे इस स्थिति में पहुंचाया है। अब पिछली गलतियों से सबक लेकर और बेहतर खेल दिखाकर वह अपने पुराने रुतबे को कायम रख सकता है।
 

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