यूक्रेन की पहली यात्रा पर पहुंचे भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की से अपनी मुलाकात में युद्ध खत्म करने के लिए रूस के साथ वार्ता का आग्रह किया। पीएम मोदी शांति कायम करने में मदद के लिए एक दोस्त की भूमिका निभाने की भी पेशकश की।
यूक्रेन के आधुनिक इतिहास में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की यह पहली यात्रा रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच हुई है। फरवरी 2022 में रूस के हमले से शुरू हुआ ये युद्ध इस वक्त एक अस्थिर मोड़ पर है। रूसी सेना की पूर्वी यूक्रेन में रफ्तार धीमी हो चुकी है, वहीं यूक्रेन सीमापार घुसपैठ करता जा रहा है।
PM @narendramodi held discussions with President @ZelenskyyUa in Kyiv. The leaders reviewed bilateral relations and shared perspectives on enhancing India-Ukraine cooperation in sectors such as economy, agriculture, pharmaceuticals, technology, and more. pic.twitter.com/0CzRmsYhTs
— PMO India (@PMOIndia) August 23, 2024
पीएम मोदी ने पिछले महीने मॉस्को की यात्रा की थी। इस दौरान वह राष्ट्रपति पुतिन के गले भी मिले थे। इसकी जेलेंस्की ने आलोचना की थी अब यूक्रेन के दौरे पर आए पीएम मोदी ने कहा है कि वह शांति का संदेश लेकर यूक्रेन आए हैं। उन्होंने रूस-यूक्रेन के बीच जल्द से जल्द बातचीत का आह्वान किया।
संयुक्त बयान के दौरान मोदी ने दोहराया कि समाधान का रास्ता केवल बातचीत और कूटनीति से ही निकल सकता है। हमें बिना समय बर्बाद किए उस दिशा में आगे बढ़ना चाहिए। दोनों पक्षों को एक साथ बैठकर इस संकट से निकलने का रास्ता खोजना चाहिए।
मोदी ने जेलेंस्की से कहा कि मैं आपको आश्वस्त करना चाहता हूं कि भारत शांति की दिशा में किसी भी तरह प्रयास में सक्रिय भूमिका निभाने को तैयार है। अगर मैं व्यक्तिगत रूप से इसमें कोई भूमिका निभा सकता हूं तो मैं एक दोस्त के रूप में इसके लिए तैयार हूं। मैं इस बारे में आपको आश्वस्त करता हूं।
चूंकि मोदी के इस बयान से पहले ही संयुक्त प्रेस वार्ता में जेलेंस्की अपनी बात कह चुके थे, इसलिए उन्हें बातचीत के आह्वान वाली बात का जवाब देने का अवसर नहीं मिला। हालांकि उन्होंने अपनी टिप्पणी में कहा कि युद्ध खत्म करने और न्यायपूर्ण शांति यूक्रेन की प्राथमिकता है। दोनों नेताओं ने इस यात्रा को ऐतिहासिक बताया।
यूक्रेन ने बार-बार कहा है कि वह युद्ध खत्म करना चाहता है लेकिन रूस की शर्तों पर नहीं बल्कि कीव की शर्तों पर। यूक्रेन शांति के अपने विजन को आगे बढ़ाने के लिए इस साल के आखिर में अंतरराष्ट्रीय शिखर सम्मेलन आयोजित करने पर जोर दे रहा है जिसमें रूसी प्रतिनिधि भी शामिल हों।
पहला शिखर सम्मेलन में जून में स्विट्जरलैंड में आयोजित हुआ था। इसमें रूस को बाहर रखा गया था। हालांकि भारत समेत कई देशों के प्रतिनिधिमंडल शामिल हुए थे। दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था चीन भी इससे अलग रहा था।
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