भारत और अमेरिका ने सांस्कृतिक संपत्तियों की अवैध तस्करी रोकने और ऐतिहासिक महत्व की वस्तुओं को उनके मूल स्थान पर वापस पहुंचाने के उद्देश्य से अपनी तरह का पहला द्विपक्षीय समझौता किया है।
अमेरिका-भारत सांस्कृतिक संपत्ति समझौते पर भारत में आयोजित विश्व धरोहर समिति के 46वें सत्र के अवसर पर हस्ताक्षर किए गए। भारत के केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की उपस्थिति में केंद्रीय संस्कृति सचिव गोविंद मोहन और अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी ने समझौते को औपचारिक रूप प्रदान किया।
शेखावत ने समझौते के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह समझौता ऐतिहासिक कलाकृतियों को अमेरिका से भारत लाने में मददगार साबित होगा। उन्होंने बताया कि अमेरिका में भारत की 297 वस्तुएं हैं, जिन्हें वह वापस भेजने के लिए तैयार हैं।
1976 के बाद से भारत 358 पुरावशेषों को वापस लाने में कामयाब रहा है। इनमें 345 को 2014 के बाद लाया गया है। 1970 के यूनेस्को कन्वेंशन के तहत यह समझौता सांस्कृतिक संपत्तियों के अवैध आयात, निर्यात और हस्तांतरण से निपटने के अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
भारत में अमेरिकी दूतावास ने बताया कि इस समझौते से भारत उन 29 देशों की लिस्ट में शामिल हो गया है जिनके अमेरिका ने समान द्विपक्षीय सांस्कृतिक संपत्ति समझौते कर रखे हैं। दूतावास ने बताया कि यह समझौता दो साल की मेहनत का परिणाम है। सांस्कृतिक विरासत की रक्षा में सहयोग बढ़ाने के राष्ट्रपति बाइडेन और प्रधानमंत्री मोदी की प्रतिबद्धता को पूरा करता है।
राजदूत गार्सेटी ने यूनेस्को की विश्व धरोहर समिति के 46वें सत्र में भारत के प्रयासों की प्रशंसा करते हुए कहा कि वह न सिर्फ अपनी सांस्कृतिक विरासत की रक्षा करता है बल्कि अन्य देशों में भी इस तरह के प्रयासों में सहायता करता है।
Comments
Start the conversation
Become a member of New India Abroad to start commenting.
Sign Up Now
Already have an account? Login