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साइबर सुरक्षा में भारत-अमेरिका की नई साझेदारी, मजबूत होगा डिजिटल सुरक्षा कवच

साइबर अपराध की जांच में सहयोग बढ़ाकर दोनों देशों का लक्ष्य एक अधिक सुरक्षित डिजिटल माहौल बनाना है। उभरते खतरों का समाधान करना और आपसी सुरक्षा हितों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को मजबूत करना है। 

भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रीय ध्वज। / Reuters

भारत और अमेरिका ने 17 जनवरी को साइबर क्राइम की जांच में सहयोग बढ़ाने के लिए एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर दस्तखत किए। इस समझौते पर भारत के अमेरिका में राजदूत विनय क्वात्रा और अमेरिका के डिप्टी सेक्रेटरी ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी (अतिरिक्त प्रभार में) क्रिस्टी कैनेगैलो ने हस्ताक्षर किए।

हाल के दिनों में दोनों देशों को साइबर हमलों और डिजिटल खतरों की बढ़ती चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। इनमें वित्तीय घोटाले, आतंकवाद, हिंसक उग्रवाद और संगठित अपराध शामिल हैं। इन खतरों से निपटने और उनके प्रभाव को कम करने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग की जरूरत है।

इस सहयोग से दोनों देशों में साइबर घटनाओं का रेस्पॉन्स देने में तेजी आएगी। इसके साथ ही साइबर अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई में बेहतरी और ज्यादा मज़बूत डिजिटल ढांचे की उम्मीद है। इसके अलावा, यह समझौता साइबर सुरक्षा में भविष्य के संयुक्त प्रयासों और रिसर्च के लिए रास्ता तैयार करता है। इससे डिजिटल क्षेत्र में गहरी साझेदारी को बढ़ावा मिलेगा।

इस समझौते का मकसद गृह मंत्रालय के तहत आने वाले भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) और अमेरिकी गृह सुरक्षा विभाग (DHS), साथ ही उसकी घटक एजेंसियों (अमेरिकी आप्रवासन और सीमा शुल्क प्रवर्तन (ICE) और होमलैंड सिक्योरिटी इन्वेस्टिगेशन्स साइबर क्राइम्स सेंटर (C3)) के बीच सहयोग को मजबूत करना है।

यह समझौता आपराधिक जांच में खुफिया जानकारी और डिजिटल फोरेंसिक के इस्तेमाल पर भी जोर देता है, जिससे दोनों देशों की साइबर अपराध से लड़ने की क्षमता को मजबूत करने के लिए संयुक्त प्रशिक्षण और सूचना साझा करना आसान होगा। 

इस समझौते में साइबर अपराध और दोनों देशों के सामने आने वाली साझा सुरक्षा चुनौतियों, जिनमें आतंकवाद, हिंसक उग्रवाद, आतंकवाद के लिए धन जुटाना, ड्रग तस्करी, संगठित अपराध, मानव तस्करी, अवैध प्रवास, मनी लॉन्ड्रिंग और परिवहन सुरक्षा शामिल हैं, के बीच जटिल संबंधों को स्वीकार किया गया है। यह समझौता भारत और अमेरिका के बीच व्यापक और वैश्विक रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने में एक महत्वपूर्ण कदम है। साइबर अपराध की जांच में सहयोग बढ़ाकर दोनों देशों का लक्ष्य एक अधिक सुरक्षित डिजिटल माहौल बनाना है। उभरते खतरों का समाधान करना और आपसी सुरक्षा हितों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को मजबूत करना है। 

 

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