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अमेरिका ने भारत को बताया दक्षिण एशिया में सबसे बड़ा पार्टनर

बाइडेन प्रशासन में दक्षिण एवं मध्य एशिया मामलों के ब्यूरो (एससीए) में उप सहायक मंत्री आफरीन अख्तर ने बताया कि अमेरिका और भारत जलवायु मुद्दे से निपटने के उद्देश्य से बुनियादी ढांचा तैयार करने के लिए एक फंड बनाने पर काम कर रहे हैं। इसमें अमेरिकी वित्तीय संस्थान से 500 मिलियन डॉलर का योगदान दिया जाएगा। 

पीएम मोदी और राष्ट्रपति जो बाइडेन। फाइल फोटो / facebook @Narendra Modi

अमेरिकी सरकार ने एक बार फिर से भारत को दक्षिण एशिया में अपना सबसे बड़ा साझीदार बताया है। जो बाइडेन प्रशासन में दक्षिण एवं मध्य एशिया मामलों के ब्यूरो (एससीए) में उप सहायक मंत्री आफरीन अख्तर ने बताया कि अमेरिका जलवायु मुद्दे से निपटने के उद्देश्य से बुनियादी ढांचा तैयार करने के लिए एक फंड बनाने पर काम कर रहा है। इसमें अमेरिकी वित्तीय संस्थान से 500 मिलियन डॉलर का योगदान दिया जाएगा। 

वाशिंगटन में प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए अख्तर ने कहा कि भारत के साथ हमने पिछले साल जनवरी में महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकी पर यूएस-इंडिया इनिशिएटिव (आईसीईटी) लॉन्च किया था। इसका उद्देश्य एक लचीली सेमीकंडक्टर सप्लाई चेन तैयार करना, अंतरिक्ष सहयोग को बढ़ाना और दूरसंचार की अगली पीढ़ी पर भागीदारी करना है। यह भारत के साथ महत्वपूर्ण और उभरती तकनीकों पर सहयोग के लिए महत्वाकांक्षी पहल है।

उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय खतरों को देखते हुए अमेरिका क्षेत्रीय लचीलापन भी बढ़ा रहा है। उन्होंने कहा कि हम इन्फ्रास्ट्रक्चर, क्लाइमेट चेंज और महामारियों को लेकर एक दूसरे के साथ काम करना चाहते हैं। ग्लोबल इन्फ्रास्ट्रक्चर और निवेश में पार्टनरशिप के तहत हम अरबों डॉलर का क्लाइमेट इन्फ्रास्ट्रक्चर बनाने और एक नया फंड तैयार करने पर काम कर रहे हैं, जिसमें हमारे डेवलपमेंट फाइनेंस कॉरपोरेशन से 500 मिलियन डॉलर का योगदान दिया जाएगा।

अख्तर ने बताया कि इसके तहत 40 हजार ई बसें भी शामिल होंगी, जो भारत सरकार, अमेरिकी सरकार और हमारे परोपकारी भागीदारों द्वारा वित्तपोषित एक अभिनव सुरक्षित भुगतान माध्यम से जरिए प्रदान की जाएंगी। हमने दक्षिण एशिया में क्लाइमेट एक्शन चैंपियंस वर्क भी लॉन्च किया है जिसका उद्देश्य जलवायु उद्देश्यों का समर्थन करना और पूरे क्षेत्र में उनकी जरूरतों के हिसाब से क्लाइमेट लीडर्स की अगली पीढ़ी में निवेश करना है। इसलिए हम भारत-प्रशांत, पूर्वी एशिया और दक्षिण एशिया में अपने सभी भागीदारों के साथ गहराई से जुड़े हुए हैं।

अख्तर ने कहा कि अमेरिका और भारत ने रक्षा औद्योगिक सहयोग, संयुक्त अभ्यासों और वार्षिक 2+2 मंत्रिस्तरीय वार्ता के जरिए एक बेहद व्यापक और बहुआयामी रक्षा साझेदारी को गहरा बनाया है। हम रक्षा संबंधों की मजबूती पर ध्यान लगा रहे हैं। यह हमारी हिंद-प्रशांत रणनीति की प्रमुख विशेषताओं में से एक है। अमेरिका पूरे दक्षिण एशिया में भारी निवेश कर रहा है।
 

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