भारत की फूड डिलीवरी कंपनी Swiggy ने बुधवार को अपने शेयर बाजार में डेब्यू पर 10% से ज्यादा बढ़ोतरी दर्ज की। कंपनी ने इस साल देश के दूसरे सबसे बड़े IPO में 1.34 अरब डॉलर जुटाए थे। निवेशकों का तेजी से बढ़ते quick commerce पर भरोसा, मुनाफे की चिंताओं पर भारी पड़ा।
पिछले दो वर्षों में दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भारत की इकोनॉमी में तेजी आई है, जिससे शेयर बाजार में IPO की होड़ मची हुई है। स्टार्ट-अप और स्थापित कंपनियां दोनों ही पैसा जुटा रहे हैं। जापान की SoftBank और निवेश दिग्गज Prosus द्वारा समर्थित Swiggy ने स्थानीय नेटवर्क और हजारों राइडर्स की मदद से भारत में तेजी से बढ़ने वाले कमर्शियल व्यवसाय (quick commerce) की सीमाओं को तोड़ दिया है।
Swiggy अब पारंपरिक खाने की डिलीवरी व्यवसाय से आगे बढ़कर अब सब कुछ, किराने का सामान से लेकर इलेक्ट्रॉनिक्स तक, 20 मिनट से भी कम समय में घरों तक पहुंचा रही है।
मुंबई में लिस्टिंग समारोह में बोलते हुए ग्रुप के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्रीहर्ष माजेटी ने कहा, 'भारत के सामने बहुत ज्यादा आर्थिक ग्रोथ है। विकास जाहिर तौर पर शहरों में दिखाई देगा। यह Swiggy जैसी कंपनी के लिए एक बढ़िया मौका है।' ट्रेडिंग के पहले दिन, कंपनी के शेयर, बाजार की सामान्य कमजोरी के बावजूद 430.15 रुपये पर कारोबार करते रहे, जो कि इश्यू प्राइस से 10% अधिक है। लिस्टिंग से पहले, विश्लेषकों ने Zomato और बिना लिस्टेड प्रतिद्वंद्वी Zepto से कड़ी प्रतिस्पर्धा की चिंताएं जताई थीं।
आदित्य बिड़ला कैपिटल के विश्लेषक निनाद सरपोतदार ने लिस्टिंग से पहले कहा था कि Swiggy ने शुरू में इन-हाउस इनोवेशन पर ध्यान केंद्रित किया था। इससे उसे बढ़त मिली। लेकिन Zomato और Zepto जैसे प्रतिस्पर्धी तब से फूड डिलीवरी और quick commerce में आगे निकल गए हैं। सरपोतदार ने कहा कि लगातार घाटा और हाई वैल्यूएशन भी नकारात्मक कारक थे।
Swiggy के वित्तीय दस्तावेज दिखाते हैं कि जून तिमाही में इसका घाटा बढ़कर 6.1 अरब रुपये (72.3 मिलियन डॉलर) हो गया। कंपनी अपनी आय बढ़ाने और घाटे को कम करने के लिए अपने नेटवर्क का विस्तार करने के लिए अपने IPO से मिली 66 मिलियन डॉलर की रकम का उपयोग करने की योजना बना रही है।
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