भारत के विदेश मंत्री पिछले करीब एक दशक में पहली बार पाकिस्तान की यात्रा करने जा रहे हैं। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शनिवार को कहा कि वह सिर्फ एससीओ (शंघाई सहयोग संगठन) शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने जा रहे हैं, भारत-पाकिस्तान संबंधों पर चर्चा करने नहीं जा रहे हैं।
पाकिस्तान की दुर्लभ यात्रा के ऐलान के एक दिन बाद शनिवार को विदेश मंत्री जयशंकर ने नई दिल्ली में आईसी सेंटर फॉर गवर्नेंस द्वारा शासन पर आयोजित सरदार पटेल व्याख्यान के बाद मीडिया से बातचीत में इस मुद्दे पर बातचीत की। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उन्होंने कहा कि वह केवल एससीओ का एक अच्छा सदस्य होने के नाते पाकिस्तान की यात्रा करेंगे। वह इस यात्रा पर इसलिए जा रहे हैं क्योंकि ये सम्मेलन पड़ोसी देश में हो रहा है।
जयशंकर ने कहा कि आमतौर पर ऐसी उच्चस्तरीय बैठक में राष्ट्राध्यक्ष शामिल होते हैं, प्रधानमंत्री जाते हैं। ऐसी ही परंपरा है। यह एससीओ समिट पाकिस्तान में हो रही है इसलिए हम इसमें शामिल हो रहे हैं क्योंकि वे भी हाल ही में सदस्य बने हैं। उन्होंने ये भी कहा कि मैं सभ्य और भद्र इंसान हूं, उसी के मुताबिक व्यवहार करूंगा। बता दें कि एससीओ समिट 15-16 अक्टूबर को इस्लामाबाद में होनी है। इसमें जयशंकर एक प्रतिनिधिमंडल के साथ शामिल होंगे।
गौरतलब है कि पिछले साल मई में भारत के गोवा में आयोजित एससीओ समिट में पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी शामिल हुए थे। वह पाकिस्तान के किसी विदेश मंत्री की छह साल में पहली भारत यात्रा थी। इसी के जवाब में अब भारतीय विदेश मंत्री इस्लामाबाद जा रहे हैं।
दरअसल, भारत और पाकिस्तान के कड़वाहट भरे रिश्तों को देखते हुए जयशंकर की इस यात्रा को काफी अहम माना जा रहा है। दोनों देशों के रिश्तों की दरार उस समय और चौड़ी हो गई थी, जब भारत ने पाकिस्तानी आतंकियों और हैंडलर्स के द्वारा आतंकी हमलों के बाद पाकिस्तान में सर्जिकल स्ट्राइक की थी। इसके बाद 2019 में भारत द्वारा जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करके उसे केंद्र शासित प्रदेश बनाने के बाद पाकिस्तान ने द्विपक्षीय संबंध तोड़ लिए थे।
अब एससीओ समिट में शामिल होने के लिए भारतीय विदेश मंत्री की पाकिस्तान यात्रा से नई उम्मीद जगी है। हालांकि भारत का रुख अब भी कड़ा है। विदेश मंत्री की यात्रा का ऐलान करते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने एक दिन पहले कहा था कि यात्रा का एजेंडा सिर्फ एससीओ समिट में शामिल होना है। इससे अलग कुछ नहीं सोचा जाना चाहिए।
जानकारी के लिए बता दें कि एससीओ चीन और रूस द्वारा स्थापित 10 देशों का समूह है। इसका गठन मध्य एशियाई देशों से संबंधों को गहरा करने और क्षेत्र में प्रभाव बढ़ाने के लिए किया गया है। यह समूह दुनिया की 40 प्रतिशत आबादी और इसकी जीडीपी के लगभग 30 प्रतिशत का प्रतिनिधित्व करने का दावा करता है। हाल ही में इन्होंने संगठन को पश्चिमी देशों के प्रतिद्वंद्वी के रूप में पेश किया है।
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