भारत सरकार ने अपने प्रवासी नागरिकों की सुरक्षा एवं कल्याण को प्राथमिकता देते हुए 19 देशों के साथ सामाजिक सुरक्षा समझौते (SSAs) किए हैं। इनका उद्देश्य भारतीय कामगारों को दोहरे सोशल सिक्योरिटी योगदान से छूट देकर उनका कल्याण सुनिश्चित करना है।
भारत ने कई देशों के साथ 'माइग्रेशन एंड मोबिलिटी पार्टनरशिप' भी की है ताकि नौकरी के अवसर बढ़ें और प्रवासी भारतीयों की सुरक्षा में सुधार हो। विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने हाल ही में राज्यसभा में कहा था कि सरकार भारतीय प्रवासियों की सुरक्षा एवं कल्याण को सर्वोच्च प्राथमिकता देती है।
उन्होंने बताया कि इस उद्देश्य को आगे बढाने के लिए विदेश मंत्रालय ने फ्रांस (2018), यूके (2021), जर्मनी (2022), इटली, ऑस्ट्रेलिया, ऑस्ट्रिया (2023), और डेनमार्क (2024) जैसे देशों के साथ माइग्रेशन एंड मोबिलिटी पार्टनरशिप की है। इसका उद्देश्य रोजगार के अवसर बढ़ाना, आवाजाही को सुविधाजनक बनाना और विदेश में भारतीय नागरिकों के कल्याण को बढ़ावा देना है।
कीर्ति वर्धन सिंह ने कहा कि भारत ने ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, जर्मनी, जापान और स्वीडन जैसे देशों के साथ एसएसए किए हैं जो दोहरी सामाजिक सुरक्षा योगदान से छूट प्रदान करते हैं। अर्जेंटीना और पोलैंड के साथ ऐसे समझौते पर बात चल रही है। इससे भारतीय प्रवासियों को विदेशों में काम करते समय बेहतर सामाजिक सुरक्षा मिलती है।
इन प्रयासों के बावजूद दुनिया भर में भारतीय मूल के नागरिकों के खिलाफ भेदभाव और घृणा अपराधों में वृद्धि हुई है। राजनीतिक तनाव खासकर एच-1बी वीजा प्रोग्राम को लेकर भारत विरोधी भावनाएं बढ़ रही है और भेदभाव में इजाफा हो रहा है।
पिछले साल दिसंबर में भारतीय-अमेरिकी टेक एक्सपर्ट श्रीराम कृष्णन को व्हाइट हाउस में एआई पॉलिसी एडवाइजरी बनाए जाने के बाद काफी राजनीतिक, नस्लीय प्रतिक्रियाएं आई थीं। भारतीय आप्रवासियों की सुरक्षा को लेकर चिंता भी बढ़ गई थी।
भारत सरकार ने इसे देखते हुए इंटरनेशनल माइग्रेशन रिव्यू फोरम और कोलंबो प्रोसेस जैसे वैश्विक मंचों में सक्रिय भूमिका निभाई है जो सुरक्षित और नियमित लेबर माइग्रेशन को बढ़ावा देते हैं। भारत ने घरेलू कामगारों की सुरक्षा के लिए सऊदी अरब, कुवैत और यूएई जैसे जीसीसी देशों के साथ श्रम समझौते किए हैं।
भारत सरकार प्रवासी कामगारों की मदद के लिए कई कार्यक्रम चलाती है। प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना देश-विदेश में कामगारों को कौशल विकास और अपस्किलिंग के अवसर प्रदान करती है। प्री-डिपार्चर ओरिएंटेशन ट्रेनिंग श्रमिकों को सांस्कृतिक, कानूनी एवं व्यावसायिक मामलों पर महत्वपूर्ण जानकारी देकर विदेश में रोजगार के लिए तैयार करता है।
भारत सरकार ने विदेश में संकट में फंसे भारतीय नागरिकों के लिए कई शिकायत तंत्र भी स्थापित किए हैं। भारतीय समुदाय कल्याण कोष के माध्यम से सरकार संकटग्रस्त नागरिकों को आपातकालीन चिकित्सा देखभाल, कानूनी सहायता और पार्थिव शरीर के परिवहन सहित महत्वपूर्ण सेवाएं प्रदान करती है।
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