पिछले सप्ताह आया ब्लूमबर्ग का एक सर्वेक्षण इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) अपनाने से जुड़ी एक अलग तस्वीर का दावा करता है। 31 देशों पर हुआ यह सर्वे कहता है कि अमेरिका, जापान और कोरिया जैसे देशों को ईवी अपने और इनके उपयोग के मामले में अग्रणी माना जाता है, जबकि ऐसा है नहीं। सर्वे का दावा है कि अब ये देश इस मामले में पिछड़ रहे हैं।
दूसरी ओर, भारत जैसा देश जो ईवी अपनाने के मामले में बड़े पैमाने पर कई चुनौतियों का सामना कर रहा है, सबसे आगे निकलने की राह पर है। इसलिए क्योंकि ईवी पेट्रोल और डीजल वाहनों के साथ मूल्य समानता तक पहुंच गया है। यही नहीं, पिछले सप्ताह काउंटरपॉइंट रिसर्च के एक अलग सर्वेक्षण में पाया गया कि भारत में ईवी की बिक्री 2023 में लगभग दोगुनी हो गई और इस साल 66% बढ़ने की उम्मीद है और यह सभी यात्री वाहनों की बिक्री का 4% है।
ब्लूमबर्ग ने इसके बाद भी एक सर्वे किया था जिसमें यह जानने की कोशिश की गई अमेरिका जैसे अग्रणी खिलाड़ी रहे देश अभी ईवी के मामले में क्यों पिछड़ रहे हैं। तो सर्वे से पता चला कि ईवी के मामले में जापान के पिछड़ने की वजह उसके अपने स्वार्थ हैं। अब जापान की प्राथमिकता हाईड्रोजन सेल आधारित वाहन हैं।
दक्षिण कोरिया में व्यावहारिक बाधाएं हैं। सबसे बड़ी यह कि कई कोरियाई उच्च-मंजिला आवासीय अपार्टमेंट परिसरों में रहते हैं और उनके पास घरेलू चार्जर तक विश्वसनीय पहुंच नहीं है। ऐसा इसके बावजूद है कि कोरिया दुनिया भर में ईवी का अग्रणी ठिकाना है। यानी हुंडई मोटर ग्रुप और किआ कॉर्प।
और जहां तक अमेरिका की बात है तो भले ही चौथी तिमाही में पूरी तरह से इलेक्ट्रिक वाहनों (मेक) की बिक्री नई कारों की बिक्री का 8% से अधिक रही लेकिन यह प्रवृत्ति अमेरिका से पहले आने वाले 20 देशों की तुलना में धीमी रही है। ईवी बाजार में सुस्ती के अन्य कारण हैं ऊंची कीमतें, विविधता की कमी और सार्वजनिक चार्जर की उनुपलब्धता चिंता का सबब है।
भारत के ईवी बाजार में टाटा का वर्चस्व
भारत के ईवी बाजार के अध्ययन के आधार पर काउंटरपॉइंट रिसर्च की 5 अप्रैल की घोषणा में टाटा मोटर्स को 70% बाजार हिस्सेदारी के साथ प्रमुख खिलाड़ी के रूप में दर्जा दिया गया है। भारत के बाजार में टाटा के कई मॉडल हैं- नेक्सॉन, टियागो, टिगोर और पंच। केवल एक मॉडल XUV400 SUV के साथ महिंद्रा एंड महिंद्रा 2023 में सबसे तेजी से बढ़ने वाला ब्रांड था जिसने केवल एक वर्ष में 2476% की वृद्धि दर्ज की। इसके बाद चीनी ब्रांड BYD और MG मोटर्स थे।
टेस्ला की एंट्री का परिदृश्य
लंबे समय से इंतजार कर रही अमेरिकी ईवी लीडर टेस्ला अब एक साल में 8000 कारों तक आयात शुल्क में हाल ही में की गई कटौती की घोषणा के बाद भारतीय बाजार में प्रवेश करने के लिए तैयार है। टेस्ला के जर्मन प्लांट में राइट-हैंड ड्राइव कारें बनाते हुए देखा गया। इस कारण खबर चली कि यह संभावित रूप से भारत के बाजार के लिए हो सकता है।
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