बांग्लादेश में अराजक स्थिति के बीच गुरुवार को अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार प्रो. मोहम्मद यूनुस ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से टेलीफोन पर बात की। प्रधानमंत्री हसीना की सरकार गिरने के बाद कार्यवाहक सरकार का नेतृत्व कर रहे मो. यूनुस ने इस दौरान बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों की सुरक्षा का वादा किया।
पीआईबी की तरफ से जारी बयान में कहा गया कि मोहम्मद यूनुस से बातचीत के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने लोकतांत्रिक, स्थिर, शांतिपूर्ण और प्रगतिशील बांग्लादेश के लिए भारत के समर्थन की पुष्टि की। उन्होंने विभिन्न विकास पहलों के माध्यम से बांग्लादेश के लोगों का समर्थन करने की भारतीय प्रतिबद्धता पर जोर दिया।
बयान में आगे बताया गया कि प्रधानमंत्री मोदी ने बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य सभी अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा एवं संरक्षा सुनिश्चित करने के महत्व को भी रेखांकित किया। इस पर प्रो. यूनुस ने आश्वासन दिया कि अंतरिम सरकार बांग्लादेश में हिंदुओं और सभी अल्पसंख्यक समूहों की सुरक्षा, संरक्षा एवं रक्षा को प्राथमिकता देगी।
दोनों राजनेताओं ने अपनी राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के अनुरूप द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाने के तौर-तरीकों पर भी चर्चा की। बांग्लादेश की नई अंतरिम सरकार पहले ही कह चुकी है कि वह कानून व्यवस्था बहाल करने और सभी अल्पसंख्यकों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।
भारत के अपने पूर्वी पड़ोसी देश बांग्लादेश महत्वपूर्ण निवेश और घनिष्ठ सुरक्षा संबंध हैं लेकिन शेख हसीना सरकार के पतन से भारत की चिंताएं बढ़ गई हैं। एएफपी की रिपोर्ट के अनुसार, हसीना के 15 साल के शासन में मानवाधिकारों के हनन की व्यापक घटनाएं हुई थीं। राजनीतिक विरोधियों की हत्या और बड़े पैमाने पर नेताओं को हिरासत में लेने के आरोप भी लगे थे।
भारत की मोदी की अगुआई वाली हिंदू राष्ट्रवादी सरकार ने हसीना को बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी के प्रतिद्वंद्वियों पर प्राथमिकता दी, जिसे वह रूढ़िवादी इस्लामी समूहों के करीब मानती थी। हसीना के तख्तापलट के बाद मुस्लिम बहुल बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर हमले और अत्याचार की खबरें आईं। हालांकि अब सुरक्षा स्थिति में सुधार का दावा किया जा रहा है। बांग्लादेश में हिंदू सबसे बड़ा अल्पसंख्यक समुदाय हैं। उन्हें आमतौर पर शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग का मजबूत समर्थक माना जाता है।
(इनपुट एएफपी)
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