भारतीय नवीकरणीय ऊर्जा विकास एजेंसी लिमिटेड (IREDA) के सीएमडी प्रदीप कुमार दास ने कहा है कि भारत को जलवायु परिवर्तन संबंधी अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिए वित्त वर्ष 2024 से 2030 के बीच 30 लाख करोड़ रुपये के निवेश की आवश्यकता होगी।
विश्व बैंक की तरफ से दक्षिण एशिया डेवलपमेंट को लेकर ताजा अपडेट "तेज और स्वच्छ तरक्की की ओर" के जारी होने के अवसर पर अंतरराष्ट्रीय वेबिनार को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि यह निवेश नवीकरणीय ऊर्जा संसाधनों के विकास में किया जाएगा जिससे भारत को अपने जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद मिलेगी। यह भारत को एक नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में अगुआ बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।
प्रदीप कुमार दास ने कहा कि भारत को सौर, इलेक्ट्रोलाइज़र व बैटरी निर्माण क्षमता समेत ट्रांसमिशन, हरित हाइड्रोजन, हाइड्रो और पवन ऊर्जा आदि क्षेत्रों में निवेश की आवश्यकता है। उन्होंने सरकार और निजी क्षेत्र से इस निवेश को हासिल करने के लिए सहयोग का आग्रह किया।
हाल ही में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू की गई रूफटॉप सौर योजना "पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना" के महत्व के बारे में बताते हुए दास ने कहा कि 75,000 करोड़ रुपये की लागत वाली इस दूरदर्शी परियोजना का लक्ष्य हर महीने एक करोड़ घरों को सौर ऊर्जा से लैस करके 300 यूनिट तक मुफ्त बिजली प्रदान करना है।
उन्होंने कहा कि यह पहल रूफटॉप सौर ऊर्जा क्षेत्र में भारत को अभूतपूर्व ऊंचाइयों तक ले जाने के उद्देश्य से की गई है। यह योजना न केवल लोगों को फायदा पहुंचाएगी बल्कि बड़े पैमाने पर नवीकरणीय ऊर्जा के प्रति जागरूकता भी बढ़ाएगी। इस तरह 2070 तक नेट-शून्य उत्सर्जन और 2047 तक ऊर्जा स्वतंत्रता प्राप्त करने के भारत के महत्वाकांक्षी लक्ष्य में योगदान देगी।
IREDA के सीएमडी ने कहा कि दुनिया भर में नवीकरणीय ऊर्जा विकास के लिए भारत एक रोल मॉडल की तरह है। सरकार ने इस दिशा में कई पहल की हैं जिनमें नवीकरणीय खरीद दायित्व (आरपीओ), पीएम-कुसुम योजना, आरई परिसंपत्तियों के लिए 'मस्ट-रन स्टेटस, सौर पीवी निर्माण के लिए पीएलआई योजना और नवीकरणीय ऊर्जा के लिए 100 प्रतिशत तक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की अनुमति शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि भारत का लक्ष्य अगले तीन वर्षों में दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और 2047 तक विकसित देश बनना है। इसके लिए ऊर्जा सुरक्षा और ऊर्जा स्वतंत्रता हासिल करनी होगी। उस समय ऊर्जा की मांग काफी बढ़ जाएगी। इस मांग का लगभग 90 प्रतिशत नवीकरणीय स्रोतों से पूरा होने की उम्मीद है। जब तक नवीकरणीय ऊर्जा के लिए पर्याप्त ऊर्जा भंडार हासिल नहीं हो जाता, तब तक तापीय ऊर्जा को विकसित करने का काम भी होता रहेगा।
वेबिनार के अन्य वक्ताओं में संयुक्त राष्ट्र, विश्व व्यापार संगठन एवं विश्व बैंक की विशेष प्रतिनिधि मारिया दिमित्रियादौ, विश्व बैंक की अर्थशास्त्री फ्रांज़िस्का ओहन्सोरगे व फिलिप केनवर्थी और विपो ग्रीन के मैनेजर पीटर ओक्सेन आदि ने भी संबोधित किया।
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