अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भारत को सलाह दी है कि युवा आबादी को लाभान्वित करने के लिए उसे शिक्षा और स्वास्थ्य में निवेश करने की आवश्यकता है। इसी के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय संस्था ने हाल के वर्षों में कई झटकों से सफलतापूर्वक उबरने के लिए भारत की सराहना की है।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष में एशिया और प्रशांत विभाग के निदेशक कृष्णा श्रीनिवासन ने यहां आईएमएफ और विश्व बैंक की वार्षिक मीटिंग के मौके पर एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान भारत की युवा आबादी को लेकर पूछे गये एक सवाल के जवाब में कहा कि हमारे पास हर साल डेढ़ करोड़ लोग श्रम बल में जुड़ रहे हैं। यदि आप वास्तव में लाभान्वित होना चाहते हैं, यदि भारत वास्तव में इस जनसंख्या को श्रम शक्ति में शामिल करने से लाभान्वित होना चाहता है तो उसे शिक्षा और स्वास्थ्य दोनों में बड़ा निवेश करना होगा।
मुद्रा कोष के अधिकारी ने कहा कि यह बात केवल बड़ी जनसंख्या के आने और आपको सही तरह के कौशल की आवश्यकता है इस बारे में नहीं है। यह बात इसलिए अहम है कि आपको आगे चलकर एआई आदि से प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ेगा।
इसलिए इस श्रम शक्ति को वास्तव में उस चुनौती से निपटने के लिए तैयार होने की आवश्यकता है। मुझे लगता है कि इस मुद्दे के समाधान के लिए मैं शिक्षा और स्वास्थ्य में निवेश को अन्य प्रकार के खर्चों से कहीं अधिक प्राथमिकता दूंगा।
विश्व संस्था के कहना है कि हमारे वर्ष 2024-25 के अनुमान के मुताबिक भारत एक ऐसा देश है जिसने 6.8 प्रतिशत की बहुत मजबूत वृद्धि दर्ज की है। भारत ने हाल के वर्षों में कई झटकों को सफलतापूर्वक झेला है और अब यह दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक है।
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