भारत जनवरी से विदेश से लैपटॉप, टैबलेट और पर्सनल कंप्यूटर के आयात को सीमित करने की तैयारी कर रहा है। घटनाक्रम की प्रत्यक्ष जानकारी रखने वाले दो सरकारी सूत्रों के हवाले से रॉयटर्स ने यह दावा किया है।
अगर ये योजना लागू होती है तो 8 से 10 बिलियन डॉलर के उद्योग पर गहरा असर पड़ सकता है और अभी तक आयात पर काफी हद तक निर्भर भारतीय आईटी हार्डवेयर मार्केट को नया आकार मिल सकता है। ऐप्पल जैसी कंपनियों को भारत में मैन्यूफैक्चरिंग बढ़ाने पर विवश होना पड़ सकता है।
आयात घटाने के इस तरह के प्रयास पिछले साल भी हुए थे, तब कंपनियों की तीखी प्रतिक्रिया और अमेरिका से लॉबिंग के बाद फैसला वापस ले लिया गया था। उसके बाद भारत इंपोर्ट की निगरानी करने वाला सिस्टम बनाया, जो साल के आखिर में खत्म होने वाला है। अब कंपनियों से अगले साल आयात के लिए नए सिरे से मंजूरी लेने को कहा जा रहा है।
रॉयटर्स ने पहचान जाहिर न करने वाले अधिकारियों के हवाले से कहा है कि भारत सरकार को लगता है कि उसने इंडस्ट्री को नए नियम के अनुरूप खुद को तैयार करने के लिए पर्याप्त समय दिया है। अगले सप्ताह से सभी पक्षों के साथ विचार-विमर्श शुरू होगाा। सूत्र का कहना था कि जरूरत पड़ी तो आयात प्रतिबंधों को लागू करने में कुछ महीनों की देरी हो सकती है।
सूत्रों के मुताबिक, भारत का इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय एक नई आयात प्राधिकरण प्रणाली पर काम कर रहा है, जहां कंपनियों को अपने इंपोर्ट के लिए पहले से अनुमोदन लेना होगा। मौजूदा नीति के तहत लैपटॉप आयातकों को ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के बाद डिवाइस लाने की छूट मिल जाती है।
भारत में लैपटॉप, टैबलेट और पर्सनल कंप्यूटर इंडस्ट्री में एचपी, डेल, ऐप्पल, लेनोवो और सैमसंग का वर्चस्व है। इनकी दो-तिहाई मांग इस वक्त आयात से पूरी की जा रही है जिसमें चीन की महत्वपूर्ण भूमिका है। कंसल्टेंसी मॉर्डर इंटेलिजेंस के अनुसार, भारत में लैपटॉप और आईटी हार्डवेयर बाजार लगभग 20 बिलियन डॉलर का है। इसमें से 5 बिलियन डॉलर का ही घरेलू उत्पादन होता है।
अधिकारियों का कहना है कि भारत सरकार लैपटॉप, नोटबुक और टैबलेट के लिए न्यूनतम गुणवत्ता मानक तय करने पर विचार कर रही है ताकि कम गुणवत्ता वाले डिवाइस का आयात रोका जा सके। उन्होंने कहा कि हम इस तरह के प्रतिबंधों पर काम कर रहे हैं क्योंकि कुछ वैश्विक संधियां हमें लैपटॉप और टैबलेट पर किसी भी टैरिफ कार्रवाई से रोकती हैं।
बताया जा रहा है कि सरकार के इस कदम से डिक्सन टेक्नोलॉजीज जैसे अनुबंध निर्माताओं को फायदा होगा, जिन्होंने भारत में लैपटॉप और कंप्यूटर बनाने के लिए एचपी जैसी वैश्विक फर्मों के साथ अलग-अलग समझौते किए हैं। डिक्सन का लक्ष्य भारत की कुल मांग का 15% पूरा करना है।
आईटी हार्डवेयर के लिए देश की प्रमुख उत्पादन प्रोत्साहन योजना के तहत एसर, डेल, एचपी और लेनोवो सहित वैश्विक फर्मों ने भागीदारी की है। भारत के इलेक्ट्रॉनिक मंत्री ने पिछले साल कहा था कि इनमें से अधिकांश भारत में मैन्यूफैक्चरिंग के लिए तैयार हैं। घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार की तरफ से लगभग 2.01 बिलियन डॉलर की सब्सिडी दी जाती है।
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