अमेरिका की दिग्गज ई-कॉमर्स कंपनियां अमेज़न और वॉलमार्ट भारत में नई मुश्किल में घिर गई हैं। भारत के एंटीट्रस्ट आयोग की जांच में पाया गया है कि अमेजन और फ्लिपकार्ट ने अपनी शॉपिंग वेबसाइटों पर चुनिंदा विक्रेताओं को प्राथमिकता दी और इस तरह प्रतिस्पर्धा कानूनों का उल्लंघन किया।
भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) ने वर्ष 2020 में अमेज़न और फ्लिपकार्ट पर कुछ खास विक्रेताओं को बढ़ावा देने और कुछ की लिस्टिंग को प्राथमिकता देने के आरोपों की जांच का आदेश दिया था। अब इस जांच की रिपोर्ट आ गई है।
रॉयटर्स के मुताबिक अमेजन मामले पर 1027 पेज की और फ्लिपकार्ट पर 1,696 पेज की अलग अलग रिपोर्ट दाखिल की गई हैं। इनमें सीसीआई के जांचकर्ताओं का कहना है कि इन दोनों कंपनियों ने ऐसा इकोसिस्टम बनाया है जहां कुछ चुनिंदा विक्रेता ग्राहकों को सर्च रिजल्ट में अन्य विक्रेताओं से अधिक दिखाई देते हैं। आम विक्रेता केवल डेटाबेस में रहते हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि तरजीही लिस्टिंग से और मोबाइल फोन्स को कथित लागत मूल्य से भी नीचे बेचने से बाजारी प्रतिस्पर्धा पर विनाशकारी प्रभाव पड़ता है। प्रतिस्पर्धा विरोधी व्यवहार सिर्फ मोबाइल फोन तक सीमित नहीं है। कंपनियां अन्य वस्तुओं की बिक्री में भी ऐसा ही कर रही हैं।
अमेजन और फ्लिपकार्ट पहले से कुछ गलत करने से इनकार करती रही हैं। उनका दावा है कि उनका सिस्टम भारतीय कानूनों के अनुरूप है। लेकिन अब सीसीआई की रिपोर्ट के बाद इन दोनों कंपनियों पर भारी भरकम जुर्माना लगाया जा सकता है।
ये रिपोर्ट ऐसे समय आई हैं, जब भारत में अमेज़न और फ्लिपकार्ट को छोटे खुदरा विक्रेताओं से तीखी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। इन छोटे दुकानदारों का कहना है कि ऑनलाइन दी जाने वाली भारी भरकम छूट के कारण उनके कारोबार को नुकसान हुआ है।
अमेज़न और फ्लिपकार्ट भारत के ई-रिटेल बाजार की अग्रणी कंपनियां है। कंसल्टेंसी फर्म बेन ने 2023 में इनका कारोबार 57-60 बिलियन डॉलर तक होने का अनुमान लगाया था। 2028 तक इनका व्यापार 160 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान जताया है।
गौरतलब है कि अमेरिका में भी संघीय व्यापार आयोग ने अमेज़न पर मुकदमा दायर किया है। इसमें आरोप लगाया गया है कि कंपनी अवैध रूप से अपने एकाधिकार को बनाए रखने के लिए प्रतिस्पर्धा विरोधी और अनुचित रणनीतियों का उपयोग करती है। अमेज़न इन आरोपों को गलत बताती है।
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