भारत के तटरक्षक बल मंगलवार को बताया कि उसने अब तक की सबसे बड़ी ड्रग्स की खेप पकड़ने में कामयाबी हासिल की है। उन्होंने अंडमान सागर में एक मछली पकड़ने वाली छोटी सी नाव को रोका था। ये नाव म्यांमार से 5.5 टन मेथेमफेटामाइन (methamphetamine) स्मगल कर रही थी। इंडियन कोस्ट गार्ड (ICG) के हवाई गश्त ने अंडमान सागर में एक छोटी सी मछली पकड़ने वाली नाव को संदिग्ध तरीके से काम करते हुए देखा था। ICG की इस कार्रवाई से एक बड़े ड्रग रैकेट का पर्दाफाश हुआ है।
कोस्ट गार्ड की तरफ से बताया गया है कि रविवार सुबह छह म्यांमार नागरिकों के दल वाली मछली पकड़ने वाली नाव जब भारतीय जल सीमा में दाखिल हुई, तो एक कोस्ट गार्ड जहाज को भेजा गया। अधिकारियों ने उस पर छापा मारा। उन्होंने बताया, 'तलाशी के दौरान लगभग 5,500 किलोग्राम प्रतिबंधित ड्रग मेथैम्फेटामाइन (methamphetamine) मिली।' कोस्ट गार्ड ने कहा, 'यह आईसीजी द्वारा अब तक की सबसे बड़ी ड्रग्स की जब्ती है, जो भारतीय जल क्षेत्र की सुरक्षा के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाती है।'
इसके बाद नाव को अब एक भारतीय नौसैनिक अड्डे पर ले जाया गया है। 2021 में सेना द्वारा आंग सान सू ची की निर्वाचित सरकार को अपदस्थ किये जाने के बाद से म्यांमार अशांति में है। सेना के सख्त रवैये के कारण विद्रोह शुरू हो गया है। म्यांमार का शान राज्य सिंथेटिक ड्रग्स का एक प्रमुख केंद्र है, जिसमें से अधिकांश अवैध प्रयोगशालाओं में बनता है। यह थाईलैंड की सीमा के पास सशस्त्र समूहों द्वारा नियंत्रित दुर्गम जंगली इलाकों में छिपी हुई है। ड्रग उत्पादक चीन और थाईलैंड के रास्तों पर कड़े पहरे के कारण नावों से तस्करी का सहारा लेते हैं।
संयुक्त राष्ट्र मादक और अपराध कार्यालय (UNODC) के अनुसार, 2023 में पूर्वी और दक्षिण पूर्व एशिया में रेकॉर्ड 190 टन मेथैम्फेटामाइन जब्त की गई थी। भारत द्वारा जब्त की गई ड्रग्स की कीमत बाजार में लाखों डॉलर में है। लेकिन, संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों का कहना है कि बड़े पैमाने पर उत्पादन के कारण उत्पादन क्षेत्रों में मेथैम्फेटामाइन की थोक कीमत महज 400 डॉलर प्रति किलोग्राम है।
इससे पहले 2019 और 2022 में, इसी तरह के ड्रग्स विदेशी जहाजों से जब्त किए गए थे जब उन्होंने भारतीय जल में प्रवेश करने की कोशिश की थी। इंडियन कोस्ट गॉर्ड और गुजरात ATS ने 15 नवंबर को गुजरात के पोरबंदर तट से 500 किलो ड्रग्स जब्त की थी। उसकी कीमत 700 करोड़ रुपये से ज्यादा बताई गई थी। ये कार्रवाई भारत की समुद्री सीमाओं की सुरक्षा के लिए ICG की निरंतर सतर्कता को भी दर्शाती है।
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