भारत ने ऑनलाइन डिजिटल विज्ञापनों पर लगाए गए 6% टैक्स (इक्वलाइजेशन लेवी) को खत्म करने का फैसला किया है। इससे गूगल, मेटा और अमेज़न जैसी अमेरिकी टेक कंपनियों को बड़ी राहत मिलेगी।
भारत ने यह कदम अमेरिका की व्यापारिक चिंताओं को दूर करने और व्यापारिक संबंध सुधारने के उद्देश्य से उठाया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 2 अप्रैल से भारत समेत कई व्यापारिक भागीदारों पर जवाबी शुल्क लगाने की धमकी दे रखी है। इसने भारतीय निर्यातकों में चिंता बढ़ा दी है।
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ऑनलाइन डिजिटल विज्ञापनों पर टैक्स खत्म करने की घोषणा भारतीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को संसद में साल 2025 के वित्त विधेयक में संशोधन पेश करते हुए की। सरकारी सूत्रों के मुताबिक, यह फैसला 1 अप्रैल 2025 से प्रभावी होगा।
पिछले महीने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान दोनों देशों ने साल 2025 के अंत तक व्यापार समझौते पर काम करने और 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 500 बिलियन डॉलर तक पहुंचाने पर सहमति जताई थी।
डिजिटल टैक्स विदेशी कंपनियों द्वारा प्रदान की जाने वाली ऑनलाइन विज्ञापन सेवाओं पर लागू होता है जिसमें कंपनियों को सरकार को 6% टैक्स का भुगतान करना पड़ता है।
अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि (USTR) ने इस टैक्स को भेदभावपूर्ण और अनुचित बताया था क्योंकि भारतीय कंपनियों को ऐसा टैक्स नहीं देना होता था।
पिछले साल भारत ने विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियों पर लगे 2% टैक्स को खत्म कर दिया था जिससे ऑनलाइन सेवाएं प्रदान करने वाली विदेशी कंपनियों को राहत मिली थी।
AKM ग्लोबल के टैक्स पार्टनर अमित माहेश्वरी का कहना है कि यह फैसला अमेरिका के साथ व्यापारिक तनाव को कम करने का संकेत है। हालांकि यह देखना बाकी है कि यह कदम और कूटनीतिक वार्ताएं अमेरिका के रुख को कितना नरम करती हैं।
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