भारत सरकार ने मणिपुर राज्य में बढ़ रही हिंसा पर लगाम लगाने के लिए 5000 और अर्धसैनिक जवानों को तैनात करने का फैसला लिया है। पिछले हफ्ते हुई हिंसा में 16 लोगों की मौत हो गई थी। अधिकारियों ने मंगलवार को ये जानकारी दी। अठारह महीने से ज्यादा समय से मणिपुर में मैतेई और कुकी समुदाय के बीच झड़पें हो रही हैं। ये हिंसा पूरे राज्य को जातीय इलाकों में बांट रही हैं।
पिछले हफ्ते पुलिस पर हमला करने की कोशिश में दस कुकी उग्रवादियों को मार गिराया गया था। इसके बाद, बदला लेते हुए छह निर्दोष मैतेई नागरिकों की हत्या कर दी गई। कुछ दिनों बाद जिरीबाम जिले में उनके शव मिले। एक सरकारी सूत्र ने एएफपी को बताया कि दिल्ली से मणिपुर के लिए 50 और अर्धसैनिक बल की कंपनियां भेजी जा रही हैं। उन्होंने नाम न बताने की शर्त पर ये जानकारी दी।
केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPF) की हर कंपनी में 100 जवान होते हैं। ये अर्धसैनिक यूनिट गृह मंत्रालय के अधीन होते हैं और आंतरिक सुरक्षा के लिए जिम्मेदार है। बिजनेस स्टैंडर्ड अखबार के मुताबिक हफ्ते के आखिर तक ये अतिरिक्त फौज राज्य में तैनात कर दी जाएंगी। भारत में पहले से ही हजारों जवान शांति बनाए रखने की कोशिश कर रहे हैं। राज्य में जारी इस हिंसा की चपेट में अब तक कम से कम 200 लोगों की जान जा चुकी है। पिछले साल से हिंसा शुरू होने के बाद से मणिपुर में इंटरनेट बार-बार बंद किया जा रहा है और कर्फ्यू लगाया जा रहा है।
इस दौरान छह शव मिलने के बाद मैतेई समुदाय ने हिंसक प्रदर्शन किए, जिसके बाद राज्य की राजधानी इंफाल में शनिवार को इंटरनेट बैन करते हुए फिर से कर्फ्यू लगा दिया गया। इस जातीय संघर्ष के कारण राज्य में हजारों लोग विस्थापित हो गए हैं। यह राज्य युद्धग्रस्त म्यांमार की सीमा से लगा हुआ है।
शहर में गुस्साए लोगों ने कई स्थानीय नेताओं के घरों पर हमला करने की कोशिश की। स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, हंगामे के दौरान आगजनी में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के कई विधायकों के घरों को नुकसान पहुंचाया गया। BJP राज्य में सरकार चला रही है। मैतेई और कुकी समुदायों के बीच लंबे समय से जमीन और नौकरियों को लेकर तनाव है। मानवाधिकार संगठनों ने आरोप लगाया है कि स्थानीय नेता राजनीतिक फायदे के लिए जातीय संघर्ष को बढ़ावा दे रहे हैं।
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