सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज (CSIS) की तरफ से हाल ही में यूएस-इंडिया क्लीन एनर्जी इवेंट का आयोजन किया गया। इस दौरान अमेरिका में भारत की उप राजदूत श्रीप्रिया रंगनाथन ने दोनों देशों के बीच अक्षय ऊर्जा तकनीक के विस्तार के शुरू की गई विभिन्न परियोजनाओं को रेखांकित किया।
उन्होंने कहा कि अगले 20 वर्षों में दुनिया के किसी भी अन्य देश से ज्यादा भारत में ऊर्जा की मांग पैदा होने का अनुमान है। ऐसे में तेजी से विकास कर रहे और सर्वाधिक आबादी वाले लोकतांत्रिक देश के तौर पर हमारी ऊर्जा नीतियां हमारे विकास के एजेंडे का हिस्सा होनी चाहिए। ऐसे में भारत का स्वच्छ ऊर्जा लक्ष्य इसकी सुरक्षा, पहुंच, बाजार और सामर्थ्य के बीच संतुलन बनाते हुए तैयार किया गया है।
CSIS के कार्यक्रम में दोनों देशों के बीच सहयोग बढ़ाने के उद्देश्य से प्रमुख हितधारक शामिल हुए। इनमें जलवायु मामलों के उप विशेष दूत रिचर्ड ड्यूक, डीओई में अंतर्राष्ट्रीय मामलों के सहायक सचिव एंड्रयू लाइट, ऊर्जा संसाधन ब्यूरो के सहायक सचिव जेफ्री पायट, डीएफसी में मुख्य जलवायु अधिकारी जेक लेविन, टाटा पावर के सीईओ डॉ प्रवीर सिन्हा और फर्स्ट सोलर के सीईओ मार्क विडमार जैसे वक्ता प्रमुख रहे।
भारत में भीषण गर्मी, ऊर्जा की भारी मांग
रिचर्ड ड्यूक का कहना था कि मध्यम वर्ग की बढ़ती संख्या और लगातार चढ़ते तापमान से भारत में एयर कंडीशनरों से बिजली का उपयोग नाटकीय रूप से बढ़ेगा। अनुमान है कि अगले दो दशकों में कूलिंग की मांग में 8 गुना तक वृद्धि होगी। ऐसे में वार्मिंग की प्रवृत्ति से निपटने के लिए एयर कंडीशनरों को सीमित किया जाना चाहिए। विकास, सार्वजनिक स्वास्थ्य और आराम व उत्पादकता के बीच संतुलन जरूरी है।
वैश्विक स्वच्छ ऊर्जा लक्ष्यों में भारत की भूमिका
एंड्रयू लाइट ने ऊर्जा क्षेत्र की एक हालिया उपलब्धि - 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा को तीन गुना करने और ऊर्जा दक्षता को दोगुना करने के समझौते की चर्चा की जो भारत के नेतृत्व में जी20 ऊर्जा ट्रैक से पैदा हुआ है। उन्होंने कहा कि हम ऊर्जा भंडारण लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करने जा रहे हैं। इसमें 2030 तक लंबी अवधि की भंडारण क्षमता को छह गुना बढ़ाकर 1,500 गीगावाट करने का वैश्विक लक्ष्य शामिल है, जिसके तहत दुनिया भर में 10 मिलियन किलोमीटर की नई ट्रांसमिशन लाइनों में निवेश किया जाना है।
भारत के स्थिरता लक्ष्य
मार्क विडमार ने दीर्घकालिक ऊर्जा, स्वतंत्रता और सुरक्षा प्राप्त करने के उद्देश्य से स्पष्ट रणनीतिक दृष्टि और महत्वाकांक्षी लक्ष्यों के लिए भारत की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि भारत को बहुराष्ट्रीय निवेशों हासिल करने के लिए विश्वास का माहौल बनाने की नीतिगत जरूरत है।
जेफ्री पायट ने अपनी तीन दशकों की भागीदारी में अमेरिका-भारत संबंधों में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन का जिक्र किया, जिसमें टाटा जैसी वैश्विक भारतीय कंपनियों के उद्भव पर जोर दिया गया। उन्होंने विभिन्न हितधारकों के बीच सहयोग बढ़ाने में विदेशों में राजदूतों और राजनयिक मिशनों की महत्वपूर्ण भूमिका पर भी प्रकाश डाला।
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