भारत के प्रयागराज में इन दिनों महाकुंभ का आयोजन किया जा रहा है। विश्व के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन माने जाने वाले कुंभ में लाखों-करोड़ों तीर्थयात्री इकट्ठा हो रहे हैं। अथाह भीड़ का प्रबंधन करना एक बड़ी चुनौती होती है लेकिन इस बार कुंभ में एआई की मदद से क्राउड मैनेजमेंट किया जा रहा है।
भारत में विशाल धार्मिक आयोजनों में भीड़ प्रबंधन में भारत का रिकॉर्ड बहुत अच्छा नहीं रहा है। 1954 के कुंभ मेले में एक ही दिन में 400 से अधिक लोगों की कुचलकर और डूबने से मौत हो गई थी। प्रयागराज में जब पिछली बार 2013 में कुंभ का आयोजन हुआ था, तब 36 लोगों की कुचलकर मौत हो गई थी।
इस बार प्रयागराज में सोमवार से शुरू हुआ महाकुंभ छह सप्ताह तक चलेगा। आयोजकों का अनुमान है कि इस दौरान 400 मिलियन से अधिक तीर्थयात्री आएंगे और नदियों में स्नान और अनुष्ठान आदि करेंगे। इसे देखते हुए प्रशासन भगदड़ जैसे हालात से निपटने के लिए आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर रहा है।
कुंभ टेक ऑपरेशन की कमान संभाल रहे वरिष्ठ पुलिस अधिकारी अमित कुमार ने कहा कि इस बार हम जो तकनीक इस्तेमाल कर रहे हैं, वह हमें भीड़ की संख्या का सटीक अनुमान लगाने में मदद करती है। इससे हम संभावित परेशानी के लिए बेहतर तरीके से तैयार रह सकते हैं।
उन्होंने कहा कि हमने प्रमुख उत्सव स्थलों और विशाल शिविरों की ओर जाने वाली सड़कों पर लगभग 300 कैमरे लगाए हैं। ये कैमरे एआई से जुड़े हैं, जो हमें संवेदनशील स्थानों में भीड़ के आकार की जानकारी दे रहे हैं। इसके अलावा ड्रोन से भी नजर रखी जा रही है।
कुमार ने बताया कि कैमरों और ड्रोन की फुटेज को एआई एल्गोरिदम में फीड किया जाता है जो हर दिशा में मीलों तक फैली भीड़ का समग्र अनुमान देता है। रेलवे और बस ऑपरेटरों के डेटा से भी क्रॉस-चेक किया जाता है। गंगा-यमुना के संगम के नजदीक एक कमांड एंड कंट्रोल सेंटर बनाया गया है। यहां पुलिस अधिकारियों और तकनीशियनों की एक छोटी सी सेना मेला स्थल के हर कोने पर नजर रखती है।
उन्होंने बताया कि अगर किसी जगह पर ज्यादा भीड़ जमा हो जाती है और सुरक्षा के लिए खतरा बनने की संभावना होती है तो अलार्म बजने लगता है। इसके बाद वहां भीड़ को नियंत्रित कर दिया जाता है। कुमार कहते हैं कि हम चाहते हैं कि सभी लोग अपनी आध्यात्मिक यात्रा को पूरा करके खुशी से घर वापस जाए।
भीड़ प्रबंधन को लेकर सरकार के उपायों से कुंभ में आने वाले तीर्थयात्री भी खुश हैं। एक 28 वर्षीय ऑटोमोटिव इंजीनियर हर्षित जोशी ने बताया कि जगह-जगह कैमरे लगे होने और ड्रोन के जरिए निगरानी से हम सुरक्षित महसूस करते हैं।
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