ADVERTISEMENTs

भारत बढ़ाएगा अमेरिकी LNG की खरीद, आयात कर हटाने की योजना

सूत्र ने बताया, "हम अमेरिका के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौते के तहत एलएनजी पर आयात कर समाप्त करने पर विचार कर रहे हैं।"

भारत अमेरिकी तरलीकृत प्राकृतिक गैस (LNG) पर आयात कर समाप्त करने के प्रस्ताव पर विचार कर रहा है ताकि खरीद बढ़ाई जा सके और वाशिंगटन के साथ व्यापार अधिशेष (ट्रेड सरप्लस) को कम किया जा सके। यह मुद्दा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के लिए एक प्रमुख चिंता का विषय रहा है। सरकार और उद्योग से जुड़े चार सूत्रों ने इस जानकारी की पुष्टि की है।

अमेरिका, कतर के बाद भारत का दूसरा सबसे बड़ा एलएनजी आपूर्तिकर्ता है, लेकिन दोनों देश ऊर्जा क्षेत्र में व्यापार को और बढ़ाने की योजना बना रहे हैं। भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है और अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए आयात पर निर्भर है।

पिछले महीने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान, भारत ने अमेरिकी ऊर्जा खरीद को 10 अरब डॉलर से बढ़ाकर 25 अरब डॉलर करने का वादा किया था। साथ ही, दोनों नेताओं ने 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 500 अरब डॉलर तक ले जाने पर सहमति जताई थी। एक सरकारी सूत्र के अनुसार, "आयात कर समाप्त करने से अमेरिकी एलएनजी अधिक प्रतिस्पर्धी हो जाएगी और भारत के व्यापार अधिशेष को कम करने में मदद मिलेगी।" पिछले साल यह अधिशेष 45.4 अरब डॉलर था।

यह भी पढ़ें- अधिकार नहीं, उपहार हैं छात्र वीजा; ट्रम्प सरकार के कड़े फैसलों के बचाव में उतरे रूबियो

इस मामले से जुड़े एक सूत्र ने बताया, "हम अमेरिका के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौते के तहत एलएनजी पर आयात कर समाप्त करने पर विचार कर रहे हैं, ठीक उसी तरह जैसे हमने यूएई के साथ किया है।" 

अमेरिकी एलएनजी पर भारत का मौजूदा कर ढांचा
वर्तमान में, भारत एलएनजी पर 2.5% मूल सीमा शुल्क (बेसिक कस्टम ड्यूटी) और 0.25% सामाजिक कल्याण कर (सोशल वेलफेयर टैक्स) लगाता है। हालांकि, संयुक्त अरब अमीरात (UAE) और ऑस्ट्रेलिया से आने वाली एलएनजी पर द्विपक्षीय समझौतों के तहत कोई कर नहीं लगाया जाता।

इन चर्चाओं की संवेदनशीलता के कारण सूत्रों ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर जानकारी दी। भारत के तेल और वित्त मंत्रालय ने इस पर तत्काल कोई टिप्पणी नहीं की।

भारत के ट्रंप प्रशासन के साथ व्यापारिक संबंधों पर जोर
कनाडा और यूरोपीय संघ के विपरीत, भारत ट्रंप प्रशासन के साथ व्यापारिक संबंधों को मजबूत करने की दिशा में कदम उठा रहा है। इससे पहले, एक रिपोर्ट में बताया गया था कि भारत अमेरिका से आयात होने वाले 23 अरब डॉलर के सामान पर आधे से अधिक उत्पाद शुल्क (टैरिफ) घटाने के लिए तैयार है।

इसके अलावा, चीन द्वारा पिछले महीने अमेरिकी एलएनजी पर 15% आयात कर लगाए जाने के कारण अमेरिका से होने वाला एलएनजी व्यापार भारत की ओर स्थानांतरित हो सकता है। अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) का अनुमान है कि 2023 से 2030 के बीच भारत की गैस खपत में 60% की वृद्धि होगी और इस दौरान एलएनजी आयात दोगुना हो जाएगा।

भारत एलएनजी का बड़ा खरीदार
भारत दुनिया का चौथा सबसे बड़ा एलएनजी आयातक है। मौजूदा वित्त वर्ष में 31 मार्च तक भारत ने 25.9 मिलियन टन एलएनजी का आयात किया, जिसकी कीमत लगभग 14.2 अरब डॉलर रही। इस वित्त वर्ष में एलएनजी आयात 27-28 मिलियन टन तक पहुंचने की संभावना है, जिसमें अमेरिकी आपूर्ति का हिस्सा 20-25% हो सकता है।

भारत की सरकारी गैस कंपनी गेल (GAIL) इंडिया लिमिटेड ने अमेरिकी कंपनियों के साथ 5.8 मिलियन टन एलएनजी सालाना खरीदने के दीर्घकालिक अनुबंध कर रखे हैं। इसके अलावा, गेल एक अमेरिकी एलएनजी संयंत्र में हिस्सेदारी खरीदने या एक नया दीर्घकालिक अनुबंध करने की योजना को फिर से शुरू कर सकती है, क्योंकि ट्रंप प्रशासन ने नए परियोजनाओं के निर्यात परमिट पर प्रतिबंध हटा दिया है।

भारत की अन्य तेल कंपनियां जैसे इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (IOC) और भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (BPCL) भी अमेरिकी कंपनियों के साथ एलएनजी खरीद को लेकर बातचीत कर रही हैं। पिछले महीने, भारत के तेल सचिव पंकज जैन ने बताया था कि भारत की तेल मंत्रालय कंपनियों को जहां संभव हो, वहां अमेरिकी ऊर्जा आयात बढ़ाने का निर्देश दे रहा है। एलएनजी के अलावा, भारत अमेरिका से पेट्रोकेमिकल्स, इथेन, प्रोपेन और ब्यूटेन के आयात को भी बढ़ा सकता है।

Comments

ADVERTISEMENT

 

 

 

ADVERTISEMENT

 

 

E Paper

 

 

 

Video

 

Related