भारत ने आखिरकार एक बार फिर से कर दिखाया। उसने ओलंपिक हॉकी में यूरोपीय टीमों के स्वीप को रोकते हुए टॉप 3 में एशिया की मौजूदगी को फिर से स्थापित कर दिया है। भारत ने स्पेन को 2-1 से हराकर कांस्य पदक जीत लिया है।
भारत ने साबित कर दिया है कि पिछले एशियाई खेलों में इसी तरह की जीत महज तुक्का नहीं थी। यह संयोग की बात है कि टोक्यो और पेरिस दोनों जगहों पर भारत ने कांस्य के लिए मैच के लिए यूरोपीय टीमों को हराया है। उसने पेरिस में स्पेन और टोक्यो में जर्मनी पर अपना दमखम साबित किया है।
भारतीय कप्तान हरमनप्रीत सिंह ने स्पेन के खिलाफ मैच में न सिर्फ फिर से भारतीय टीम का सफल नेतृत्व किया बल्कि बाकी खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा भी बने। वह इस टूर्नामेंट में 10 व्यक्तिगत गोल करके शीर्ष स्कोरर में से एक के रूप में उभरे हैं। इसमें छह पेनल्टी कॉर्नर और चार पेनल्टी स्ट्रोक शामिल थे।
भारत ने 1928 से 1956 तक लगातार स्वर्ण पदक जीता था। उस दौर में भारतीय हॉकी का डंका पूरी दुनिया में बजता था। लेकिन बाद के दौर में उसकी स्थिति डांवाडोल हो गई। अब लगातार दो ओलंपिक में उसने कांस्य पदक जीतकर अपना दम फिर से दिखाने का प्रयास किया है।
पेरिस ओलंपिक में गुरुवार के मैच में स्पेन ने पहला वार किया था। 18वें मिनट में जेरार्ड क्लेरेस को पेनल्टी सर्कल पर बाधित किए जाने के बाद पेनल्टी स्ट्रोक मिला था। स्पेन के कप्तान मार्क मिरालेस ने कोई गलती नहीं की और गोल कर दिखाया। इस दौरान स्टेडियम में सन्नाटा सा छाया रहा क्योंकि स्टैंड भारतीय हॉकी के प्रशंसकों से खचाखच भरा था।
इस गोल के बाद भारतीय टीम ने स्कोर बराबर करने के लिए अपना सब कुछ झोंक दिया। ललित और हार्दिक दोनों ने प्रतिद्वंद्वी के गोल पर अच्छे प्रयास किए। इस बीच स्पेन को पेनल्टी कार्नर मिला जिसे भारतीय डिफेंस ने नाकाम कर दिया।
25वें मिनट में स्पेन के बोर्जा लाडेल और गेरार्ड क्लेरेस ने अच्छा मूव बनाया लेकिन अनुभवी श्रीजेश ने स्पेन को बढ़त बनाने से रोक दिया। मध्यांतर शुरू होने से कुछ सेकेंड पहले भारत को पेनल्टी कॉर्नर मिला। कप्तान हरमनप्रीत ने कोई गलती नहीं की और दोनों टीमों का स्कोर बराबरी पर ला दिया।
दूसरे हाफ के तीन मिनट बाद वीडियो रेफरल से भारत को एक और पेनल्टी कॉर्नर मिला। इस बार फिर से भारतीय कप्तान ने अपनी फ्लिक का जादू चलाते हुए टीम को 2-1 की महत्वपूर्ण बढ़त दिला दी।
मैच के दौरान भारत ने कई ताकतवर हमलों का भी बचाव किया जिसमें आखिरी तीन मिनट में कई पेनल्टी कॉर्नर शामिल थे। भारत के मजबूत डिफेंस ने स्पेन को आगे नहीं बढने दिया। मैच खत्म होने के बाद स्टार गोलकीपर पीआर श्रीजेश मैदान पर उतरे और हॉकी से विदाई का ऐलान कर दिया। सभी खिलाड़ियों ने भावुक अंदाज में उन्हें विदाई दी।
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