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अमेरिका में फिलिस्तीन समर्थक प्रदर्शनों पर स्कूली छात्राओं ने सरकार को दी नसीहत

न्यू इंडिया अब्रॉड से विशेष बातचीत में श्रेया और आरा ने कहा कि इजरायल-फिलिस्तीन संकट पर जो बाइडन सरकार को और अधिक फोकस करने की जरूरत है।

भारतीय मूल की अमेरिकी हाई स्कूल छात्रा श्रेया श्रीवास्तव और आरा संपत / Image : New India Abroad

अमेरिका के कॉलेजों में इन दिनों इजरायल-फिलिस्तीन का मुद्दा छाया हुआ है। इस बीच भारतीय मूल की अमेरिकी हाई स्कूल छात्रा श्रेया श्रीवास्तव और आरा संपत ने इस मसले पर अपनी राय रखते हुए कहा है कि सरकार को सुनना चाहिए कि देश के युवा और छात्र क्या कहते हैं। 

न्यू इंडिया अब्रॉड से विशेष बातचीत में श्रेया और आरा ने कहा कि इजरायल-फिलिस्तीन संकट पर जो बाइडन सरकार को और अधिक फोकस करने की जरूरत है। उन्होंने फिलिस्तीन को संयुक्त राष्ट्र का पूर्ण सदस्य बनाने के प्रस्ताव पर अमेरिका के खिलाफ में मतदान करने की भी आलोचना की।

श्रेया श्रीवास्तव ने कहा कि अमेरिका ने हाल ही में फिलिस्तीन को यूएन का हिस्सा बनाने के खिलाफ मतदान किया है। मुझे लगता है कि लोगों को यह पसंद नहीं आया। मेरा मानना है कि बाइडेन प्रशासन को छात्रों की बात सुननी चाहिए क्योंकि भले ही हम छात्र हैं लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि हम चीजों को नहीं समझते। 

गौरतलब है कि हाल ही में अमेरिका के विश्वविद्यालयों में फिलिस्तीन के समर्थन में भारी प्रदर्शन हुए थे। इनमें कोलंबिया विश्वविद्यालय, कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, लॉस एंजिल्स और जॉर्ज वाशिंगटन विश्वविद्यालय शामिल थे। कई जगहों पर पुलिस ने छात्रों पर कार्रवाई भी की थी।

आरा संपत ने कहा कि अलग अलग विश्वविद्यालयों में पुलिस और एजेंसियों की भूमिका पर प्रशासकों की प्रतिक्रिया काफी अलग अलग रही है। आप उन छात्रों के साथ कैसा व्यवहार कर रहे हैं जो अभिव्यक्ति की आजादी, अपनी इच्छा व्यक्त करने और परिसर में आलोचनाओं का स्वागत करने के अपने अधिकारों का उपयोग कर रहे हैं। ये छात्र न सिर्फ कैंपस के अंदर बल्कि बाहर भी लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित कर रहे हैं। ऐसे में इस मामले में संतुलन की जरूरत है। 

अमेरिका में टिकटॉक पर बैन की अटकलों के बारों में आरा संपत ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि टिकटॉक पर बैन इस देश की मुख्य चिंता है। यदि आप डेटा उल्लंघन और यूजर्स के डेटा की चोरी जैसी बातों को देखें तो फेसबुक, इंस्टाग्राम, स्नैपचैट को ज्यादा दोषी पाएंगे। 

टिकटॉक बैन को लेकर अदालत की चल रही सुनवाई में लगातार चीन की कम्युनिस्ट पार्टी से उसके संबंधों के बारे में पूछा जा रहा है जबकि टिकटॉक का प्रत्यक्ष तौर पर उससे लेना देना नहीं है। बता दें कि हाल ही में प्रतिनिधि सभा में एक प्रस्ताव पास किया गया है, जिसमें प्रावधान है कि अगर एक साल के अंदर टिकटॉक में विनिवेश नहीं किया गया तो उस पर बैन लगा दिया जाएगा। 

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