युवा टेबल टेनिस स्टार कनक झा (24) ने पेरिस ओलंपिक में इतिहास रच दिया है। कनक 1992 में जिमी बटलर के बाद ओलंपिक टेबल टेनिस के 16वें राउंड में आगे बढ़ने वाले पहले पुरुष अमेरिकी एथलीट बन गये हैं। झा ने रियो और टोक्यो में संयुक्त राज्य अमेरिका का प्रतिनिधित्व किया है। वह इस आयोजन में स्पर्धा करने वाले अकेले अमेरिकी खिलाड़ी हैं।
झा की उल्लेखनीय यात्रा एक बड़े उलटफेर के साथ शुरू हुई। इसमें उन्होंने दुनिया में 20वें स्थान पर मौजूद कोरिया के चो डेसॉन्ग को 4-2 से हराया। वैश्विक स्तर पर 125वें स्थान पर होने के बावजूद झा ने 31 जुलाई को ग्रीस के पैनागियोटिस जियोनिस को 4-2 से हराकर अपना प्रदर्शन जारी रखा और 16वें राउंड में अपनी जगह पक्की कर ली।
विश्व टेबल टेनिस ने उनकी उपलब्धि पर अपनी टिप्पणी में कहा- अमेरिकी सपना साकार हुआ! जैसे-जैसे कनक झा 16वें दौर में बढ़े यह ओलंपिक खेलों की पुरुष एकल स्पर्धा में अमेरिकी एथलीट की सबसे गहरी दौड़ साबित हुई।
भारतीय-अमेरिकी खिलाड़ी को अमेरिकी एंटी-डोपिंग एजेंसी ने एक साल के लिए निलंबन कर दिया था। लिहाजा उन्हे इस साल मार्च तक खेल से बाहर रहना पड़ा। यही नहीं उनकी ओलंपिक आकांक्षाओं के रास्ते में आर्थिक परेशानियां भी आईं। तब उन्होंने लोगों से 12000 डॉलर चंदा जुटाकर अपनी यात्रा को जारी रखा।
कैलिफोर्निया के मिलपिटास में जन्मे झा अपने पेशेवर टेबल टेनिस करियर को आगे बढ़ाने के लिए 15 साल की उम्र में स्वीडन और बाद में 17 साल की उम्र में जर्मनी चले गए थे। उनके समर्पण और लचीलेपन ने ही उन्हें इस ऐतिहासिक उपलब्धि तक पहुंचाया है।
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