भारतीय मूल के दो अमेरिकी डॉक्टर तौसीफ मलिक और डॉक्टर शबाना परवेज ने ग्लोबल देसी रिपब्लिकन कॉकस (GDRC) नाम का एक मंच बनाया है। इसका मकसद अमेरिकी राजनीति में दक्षिण एशियाई लोगों की आवाज बनना है। ये पहल आर्थिक जिम्मेदारी, परिवार की एकता, और अमेरिका फर्स्ट विजन के रिपब्लिकन सिद्धांतों के साथ प्रवासी भारतीयों के मूल्यों के साथ जोड़ने की कोशिश करती है।
अमेरिका में लगभग 54 लाख दक्षिण एशियाई लोग रहते हैं। इस कॉकस का मकसद दोहरे कराधान, किफायती स्वास्थ्य सेवा-शिक्षा और आर्थिक सशक्तिकरण जैसे अहम मुद्दों को उठाना है। GDRC के संस्थापक और मुस्लिम डेमोक्रेट्स अब्रॉड के पूर्व नेता डॉ. मलिक ने कहा, 'दक्षिण एशियाई लोगों ने अमेरिका के सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक ताने-बाने में बहुत योगदान दिया है। अब वक्त आ गया है कि हम अपने सामूहिक प्रभाव का इस्तेमाल ऐसी नीतियों को बनाने में करें जो हमारे मूल्यों— परिवार, शिक्षा, अवसर और एकता से जुड़ी हों।'
डॉ. मलिक ने इस बात पर जोर दिया कि रिपब्लिकन पार्टी का उद्यमिता पर ध्यान केंद्रित करना और सरकारी हस्तक्षेप को कम करना, दक्षिण एशियाई अमेरिकियों की आकांक्षाओं के साथ मेल खाता है। GDRC की सह-संस्थापक और बोर्ड-सर्टिफाइड इमरजेंसी फिजिशियन डॉ. शबाना परवेज ने अमेरिकी स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में कमियों पर प्रकाश डाला। भारत में स्वास्थ्य सेवा की तुलना करते हुए उन्होंने कहा, 'भारत में मेरे रिश्तेदारों को किफायती प्राथमिक और विशेषज्ञ देखभाल आसानी से मिल जाती है, जबकि अमेरिका की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली अपनी उच्च लागत के बावजूद अकुशल बनी हुई है।'
इमरजेंसी मेडिसिन में दो दशकों से अधिक के अनुभव वाली डॉ. परवेज ने आगे कहा, 'स्वास्थ्य सेवा के लिए आवंटित सरकारी धन का अधिक कुशल उपयोग होना चाहिए।' उन्होंने इमरजेंसी विभागों में भीड़भाड़ को कम करने के लिए सुलभ प्राथमिक देखभाल की आवश्यकता पर भी जोर दिया।
भारतीय विरासत से प्रेरित
दोनों अपनी भारतीय जड़ों को अपने विजन को आकार देने का श्रेय देते हैं। पुणे में जन्मे डॉ. मलिक शिवाजी महाराज के 'जनता-प्रथम' दर्शन से प्रेरणा लेते हैं। उन्होंने कहा, 'शिवाजी के नेतृत्व से मुझे सामुदायिक कल्याण को प्राथमिकता देने की प्रेरणा मिलती है। डॉ. परवेज मूल रूप से भारत के हैदराबाद से हैं। हालांकि, वेस्ट इंडीज में वह पली-बढ़ी हैं। वह पारिवारिक मूल्यों, महिला सशक्तिकरण और सुलभ स्वास्थ्य सेवा का समर्थन करती हैं। उन्होंने कहा, 'दक्षिण एशियाई लोगों के रूप में, हम संयुक्त राज्य अमेरिका में मूल्यों और इनोवेशन की एक समृद्ध विविधता लाते हैं।'
GDRC की प्राथमिकताएं और मुख्य मुद्दे :
दोहरे कराधान का उन्मूलन: अनिवासी अमेरिकियों को लाभ पहुंचाने वाले सुधारों की वकालत करना।
किफायती स्वास्थ्य सेवा: कॉस्ट-इफेक्टिव स्वास्थ्य सेवा मॉडल का प्रस्ताव करना।
आर्थिक सशक्तिकरण: उद्यमिता का समर्थन करना और नियामक बोझ को कम करना।
सुलभ शिक्षा: छात्र लोन को संबोधित करना और किफायती शिक्षण के अवसरों को बढ़ावा देना।
पारिवारिक मूल्य: उन नीतियों को मजबूत करना जो समुदाय और एकता पर जोर देती हैं।
कॉकस ने बढ़ते छोटे-मोटे अपराधों के प्रभाव को भी उजागर किया। कैलिफोर्निया के आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि 2023 में चोरी की घटनाएं दो दशकों के उच्च स्तर पर पहुंच गईं। डॉ. मलिक ने प्रस्ताव 47 जैसे उपायों की आलोचना की, जो इस मुद्दे को बढ़ा रहे हैं। व्यवसायों की सुरक्षा के लिए और अधिक मजबूत नीतियों की आवश्यकता पर जोर दिया।
डॉ. मलिक ने दक्षिण एशियाई समुदाय के सदस्यों को GDRC में शामिल होने का निमंत्रण दिया। उन्होंने कहा, 'साथ मिलकर, हम एक ऐसा भविष्य बना सकते हैं जो हमारे मूल्यों का सम्मान करता है और सभी के लिए समृद्धि के अमेरिका के वादे को मजबूत करता है।'
Comments
Start the conversation
Become a member of New India Abroad to start commenting.
Sign Up Now
Already have an account? Login