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भारतीय-अमेरिकी विशेषज्ञ की ये सलाह मानी तो लाखों लोग कैंसर से बच सकते हैं

मशहूर हेमेटोलॉजिस्ट एवं ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ सतीश कथुला ने खतरनाक आंकड़े बताते हुए कहा कि कैंसर की वजह से सालाना 10 मिलियन लोगों की मौत हो रही है। आने वाले समय में यह संख्या काफी बढ़ने की आशंका है। 

डॉ. सतीश कथुला अमेरिकन एसोसिएशन ऑफ फिजिशियन ऑफ इंडियन ओरिजिन (एएपीआई) के निर्वाचित अध्यक्ष हैं। / Courtesy Photo

(प्रन्वी शर्मा)
अमेरिकन एसोसिएशन ऑफ फिजिशियन ऑफ इंडियन ओरिजिन (एएपीआई) के निर्वाचित अध्यक्ष डॉ. सतीश कथुला ने हार्वर्ड मेडिकल कॉलेज में अपने प्रेजेंटेशन में कैंसर जागरूकता और रोकथाम को लेकर महत्वपूर्ण विचार व्यक्त किए। उन्होने कैंसर के जोखिम और निवारक उपायों के प्रति दुनिया भर में जागरूकता बढ़ाने की तत्काल जरूरत पर जोर दिया।

मशहूर हेमेटोलॉजिस्ट एवं ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ कथुला ने खतरनाक आंकड़े बताते हुए कहा कि कैंसर की वजह से सालाना 10 मिलियन लोगों की मौत हो रही है। आने वाले समय में यह संख्या काफी बढ़ने की आशंका है। 

डेटन में रहने वाले डॉ कथुला ने न्यू इंडिया अब्रॉड के साथ साक्षात्कार में कहा कि विकसित और विकासशील देशों के बीच कैंसर जांच की दर में काफी असमानता है। खासतौर से अमेरिका जैसे पश्चिमी देशों की तुलना में भारत में जांच की दर काफी कम है। 

डॉ कथुला ने कहा कि कैंसर का जोखिम कम करने के लिए 'स्टॉप 3 नीति यानी धूम्रपान, शराब और प्रोसेस्ड मीट का इस्तेमाल बंद कर देना चाहिए। जीवनशैली से संबंधित कैंसर के खतरे से बचने के लिए स्टार्ट 3 यानी शारीरिक गतिविधि, कैंसर स्क्रीनिंग और एचपीवी व हेपेटाइटिस बी टीकाकरण अपनाना अहम है। 

डॉ कथुला का कहना था कि कैंसर और जीवनशैली के बीच महत्वपूर्ण संबंध है। लोगों में जीवनशैली और कैंसर के जोखिम को लेकर जागरूकता काफी कम है। जागरूकता बढ़ाकर विकासशील देशों में कैंसर के खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकता है। 

उन्होंने कहा कि कुछ अध्ययनों से पता चला है कि सार्वजनिक स्वास्थ्य अभियान के तहत मैमोग्राम और पैप स्मीयर से कैंसर जांच दर बढ़ाकर और जीवनशैली में बदलाव लाकर वैश्विक स्तर पर लाखों लोगों में कैंसर फैलने से रोका जा सकता है। 

डॉ. कथुला ने सुझाव दिया कि कैंसर जागरूकता अभियानों को बढ़ाने के लिए सरकारों, निगमों और सार्वजनिक हस्तियों को शामिल किया जाना चाहिए। उन्होंने किफायती कैंसर स्क्रीनिंग तक पहुंच बढ़ाने में एएपीआई, इंडियास्पोरा और इंडियन सोसाइटी ऑफ लाइफस्टाइल मेडिसिन जैसे संगठनों की भूमिका पर जोर दिया।

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