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कैपिटल हिल पर FIIDS सम्मेलन में उठी आवाज, राजनीति में हिस्सेदारी बढ़ाएं भारतीय प्रवासी

शिखर सम्मेलन में अधिकारियों और प्रतिनिधियों द्वारा कई महत्वपूर्ण नीतिगत मामलों पर चर्चा की गई। इनमें भारत को एक प्रमुख रक्षा भागीदार के रूप में मान्यता देना, हिंदू-अमेरिकियों और अन्य भारतीय-अमेरिकियों के खिलाफ धार्मिक पूर्वाग्रह और हेट क्राइम से लड़ना शामिल है।

संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत के प्रमुख हस्तियों ने भारतीय-अमेरिकी समुदाय और अमेरिका-भारत संबंधों को प्रभावित करने वाले महत्वपूर्ण नीतिगत मुद्दों पर चर्चा की। / @FIIDSUSA

फाउंडेशन फॉर इंडिया एंड इंडियन डायस्पोरा (FIIDS) ने 13 जून को अमेरिका स्थिति कैपिटल हिल पर एक बड़ा सम्मेलन का आयोजन किया। इस सम्मेलन में यह बात उभरकर सामने आई कि देश की राजनीति गतिविधियों में हिस्सा लेना बहुत जरूरी है। इसके साथ ही अमेरिका-भारत के रिश्ते को मजबूत बनाने में भारतीय-अमेरिकियों का बहुत बड़ा रोल है। FIIDS विदेशों में रहने वाले प्रवासी भारतीयों के लिए काम करने वाला एक बड़ा संगठन है।

संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत के प्रमुख हस्तियों ने भारतीय-अमेरिकी समुदाय और अमेरिका-भारत संबंधों को प्रभावित करने वाले महत्वपूर्ण नीतिगत मुद्दों पर चर्चा की। 22 राज्यों के 135 से अधिक भारतीय-अमेरिकी प्रतिनिधियों ने 35 राज्यों के 83 से अधिक निर्वाचित अधिकारियों से मुलाकात की, जिससे समुदाय के बढ़ते प्रभाव को उजागर किया गया। कांग्रेस में अमेरिका-भारत के रिश्तों को लेकर दोनों पार्टियों का समर्थन देखकर भारतीय मूल के कांग्रेसी रो खन्ना खुश नजर आए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस में भारत कॉकस का विस्तार 150 से अधिक सदस्यों तक हो गया है। यह संभवतः सबसे बड़ा कॉकस समूह है।

खन्ना ने भारतीय-अमेरिकियों को अपनी विरासत को गर्व करने और इसे आत्मविश्वास से अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया। दोनों राष्ट्रों के भविष्य को बेहतर बनाने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका का दावा करते हुए उन्होंने कहा कि यह भारतीय अमेरिकी समुदाय के लिए गरिमा के साथ खड़े होने का वक्त है। यह अपनी शक्ति को जानने और किसी को भी यह कहने नहीं देने का समय है कि हम यहां के नहीं हैं।

कांग्रेसी राजा कृष्णमूर्ति ने भारतीय अमेरिकी राजनीतिक भागीदारी के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि यह पद के लिए चुनाव लड़ने का समय है। मुझे परवाह नहीं है कि आप रिपब्लिकन, स्वतंत्र या डेमोक्रेट हैं। उन्होंने राजनीति में विविध प्रतिनिधित्व के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा, 'जब कांग्रेस अमेरिका की तरह दिखती है, तो यह बेहतर ढंग से काम करती है।'

जॉर्जिया के कांग्रेसी रिच मैककॉर्मिक ने लचीले इमिग्रेशन पॉलिसी का आह्वान करते हुए कहा कि हमें यहां कानूनी रूप से प्रवास करना आसान बनाना चाहिए और अवैध रूप से यहां आना कठिन बनाना चाहिए। उन्होंने अपने बिल का जिक्र करते हुए कहा जिसका उद्देश्य ग्रीन कार्ड पर 7 प्रतिशत की सीमा को हटाना और मौजूदा बैकलॉग को कम करना है।

प्रतिनिधि मैककॉर्मिक ने लोकतंत्र में संख्याओं के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारतीय अमेरिकी समुदाय जो रिपब्लिकन यहूदी गठबंधन (RJC) से बड़ा और धनी है। उनमें आगामी राष्ट्रपति चुनाव को प्रभावित करने की क्षमता है। अगर RJC हर एक रिपब्लिकन राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार को अपने लिए ला सकता है, तो कल्पना करें कि आप क्या कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि आपके पास कितनी शक्ति है। आपका कितना प्रभाव है। आप अपने और अपने परिवारों को भविष्य के लिए कैसे स्थापित कर सकते हैं। यह सच्ची शक्ति है, इसलिए जुड़े रहें और लोगों को जोड़ें। आपके पास अमेरिका में सच्ची शक्ति होगी।

यूएस-इंडिया स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप फोरम (USISPF) के अध्यक्ष मुकेश अघी ने अपने संबोधन में कहा कि पांच मिलियन भारतीय अमेरिकियों की प्रति व्यक्ति आय औसत अमेरिकी की तुलना में दोगुनी है। भारतीय अमेरिकी समुदाय द्वारा किए गए महत्वपूर्ण आर्थिक योगदानों और उत्कृष्टता के अन्य क्षेत्रों को उजागर करते हुए उन्होंने राजनीतिक भागीदारी और प्रतिनिधित्व में वृद्धि की आवश्यकता पर जोर दिया। अमेरिका-भारत संबंधों के लिए आशावादी भाव व्यक्त करते हुए अघी ने कहा कि मुझे पूरा विश्वास है कि भारत और अमेरिका के बीच संबंध आर्थिक, भौगोलिक और भावनात्मक रूप से, लोगों के बीच खुद ही बढ़ने वाले हैं।

अमेरिका-भारत व्यापार परिषद के अध्यक्ष अतुल केशप ने बताया कि भारतीय अमेरिकी संयुक्त राज्य अमेरिका की आबादी का लगभग डेढ़ प्रतिशत हैं। लेकिन देश के टैक्स रेवेन्यू का 6 प्रतिशत योगदान देते हैं। मैं बस इस बात से हैरान हूं कि हम कितनी दूर आ चुके हैं और मुझे लगता है कि हम सभी को बहुत गर्व होना चाहिए। अतुल ने अपने शुरुआती दिनों को एक राजनयिक के रूप में याद किया जब दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंध इतने अच्छे नहीं थे। उन्होंने पिछले दो दशकों संबंधों में हुए विकास पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि मुझे अपने देशों के बीच चर्चा के शीर्ष पर बैठकों में भाग लेने का सौभाग्य मिला है। आजकल संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत में सहमति की कोई सीमा नहीं है।

शिखर सम्मेलन में अधिकारियों और प्रतिनिधियों द्वारा कई महत्वपूर्ण नीतिगत मामलों पर चर्चा की गई। इनमें iCET तकनीकी निर्यात छूट को समाप्त करना, भारत को एक प्रमुख रक्षा भागीदार के रूप में मान्यता देना, आव्रजन सुधारों के माध्यम से ग्रीन कार्ड बैकलॉग को हल करना और हिंदू-अमेरिकियों और अन्य भारतीय-अमेरिकियों के खिलाफ धार्मिक पूर्वाग्रह और हेट क्राइम से लड़ना शामिल है।

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