भारतीय-अमेरिकी शोधकर्ता डॉ. उर्वी शाह के नेतृत्व में हुए एक अध्ययन से पता चला है कि हाई फाइबर, पौधे-आधारित आहार से मल्टीपल मायलोमा के खतरे को कम करने में मददगार हो सकती है। मल्टीपल मायलोमा एक असाध्य रक्त कैंसर है जो बोन मैरो को प्रभावित करता है। यह निष्कर्ष सैन डिएगो, कैलिफोर्निया में 2024 की अमेरिकन सोसाइटी ऑफ हेमेटोलॉजी (ASH) की सालाना बैठक में पेश किए गए थे।
MSK की मायलोमा विशेषज्ञ और न्यूट्रिशन अध्ययन की प्रमुख डॉ. शाह ने कहा, 'यह अध्ययन पोषण - खासकर हाई फाइबर, पौधे-आधारित आहार की ताकत को दिखाता है। साथ ही यह समझने में मदद करता है कि यह माइक्रोबायोम और मेटाबॉलिज्म में कैसे सुधार लाकर एक मजबूत इम्यून सिस्टम बनाया जा सकता है। ये निष्कर्ष इस बात का और समर्थन करते हैं कि हम चिकित्सक कैसे मरीजों खासकर शुरुआती लक्षणों वाले मरीजों को आहार में बदलाव करके कैंसर के खतरे को कम करने के बारे में जानकारी देकर सशक्त बना सकते हैं।'
यह अपनी तरह का पहला क्लिनिकल ट्रायल था जिसमें 20 ऐसे लोगों को शामिल किया गया था, जिन्हें कैंसर से पहले की रक्त संबंधी बीमारियां थी और जिनका बॉडी मास इंडेक्स (BMI) ज्यादा था। इससे उनमें मल्टीपल मायलोमा होने का खतरा ज्यादा था। 12 हफ्तों तक इन प्रतिभागियों ने हाई फाइबर, पौधे-आधारित आहार लिया और साथ ही 24 हफ्तों तक कोचिंग भी ली।
नतीजे चौंकाने वाले थे। अध्ययन में शामिल होने के एक साल के भीतर किसी भी प्रतिभागी को मल्टीपल मायलोमा नहीं हुआ।दो प्रतिभागियों में अध्ययन से पहले बीमारी बढ़ रही थी, लेकिन इस प्रक्रिया से उनमें काफी सुधार हुआ।
खानापान में बदलाव से बढ़ी उम्मीदें
अध्ययन के दौरान प्रतिभागियों को फल, सब्जियां, मेवे, बीज, साबुत अनाज और दालें जैसे संपूर्ण पौधे-आधारित खाने की असीमित मात्रा में लेने के लिए प्रोत्साहित किया गया। इस आहार परिवर्तन के परिणामस्वरूप स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण सुधार हुआ। जिसमें जीवन की बेहतर गुणवत्ता, इंसुलिन प्रतिरोध में कमी, आंत के माइक्रोबायोम स्वास्थ्य में सुधार और सूजन में कमी शामिल है। पहले 12 हफ्तों में औसतन प्रतिभागियों का 8 प्रतिशत वजन कम हुआ।
ये निष्कर्ष एक स्मॉलडरिंग मायलोमा माउस मॉडल अध्ययन द्वारा और समर्थित थे। इसमें हाई फाइबर वाले आहार पर रखे गए 44 प्रतिशत चूहों में मायलोमा नहीं हुआ। जबकि प्रचलित आहार पर रखे गए 100 प्रतिशत चूहों में मायलोमा पाया गया।
बढ़ती चिंता का समाधान
मल्टीपल मायलोमा दूसरा सबसे आम रक्त कैंसर है और यह आमतौर पर मोनोक्लोनल गामोपैथी ऑफ अनडिटरमाइंड सिग्निफिकेंस (MGUS) और स्मॉलडरिंग मायलोमा जैसी पूर्ववर्ती स्थितियों से विकसित होता है। पिछले रिसर्च ने खराब आहार की आदतों और पौधों के कम भोजन के सेवन को इस बीमारी के बढ़ते जोखिम से जोड़ा है। इन स्थितियों और हाई BMI वाले व्यक्तियों में सामान्य BMI वाले लोगों की तुलना में इसके बढ़ने का जोखिम दोगुना होता है। ऐसे में यह शुरुआती आहार बदलाव की आवश्यकता पर बल देता है।
इन उत्साहजनक परिणामों से प्रोत्साहित होकर डॉ. शाह अब एक बड़ा बहु-केंद्र परीक्षण NUTRIVENTION-3 का नेतृत्व कर रही हैं। इसमें आहार और कैंसर के बढ़ने के बीच संबंधों का और पता लगाने के लिए 150 प्रतिभागियों को शामिल किया जाएगा। डॉ. शाह ने कहा, 'ये निष्कर्ष कैंसर की रोकथाम में जीवनशैली में बदलाव के महत्वपूर्ण प्रभाव को उजागर करते हैं। जैसे-जैसे हम बीमारी के प्रबंधन में आहार की भूमिका का पता लगाना जारी रखते हैं, हम मरीजों को उनके स्वास्थ्य पर नियंत्रण करने के लिए अधिक उपकरण प्रदान करने के बारे में आशावादी हैं।'
Comments
Start the conversation
Become a member of New India Abroad to start commenting.
Sign Up Now
Already have an account? Login