भारतीय-अमेरिकी वैज्ञानिक डॉ. कट्टेश वी. कट्टी ने दक्षिण अफ्रीका में एक फुलब्राइट विशेषज्ञ के रूप में अपना कार्यकाल पूरा किया है। जहां उन्होंने ग्रीन नैनो टेक्नोलॉजी और नैनो-आयुर्वेदिक चिकित्सा में अपने काम को आगे बढ़ाया। अमेरिकी विदेश विभाग के फुलब्राइट स्पेशलिस्ट प्रोग्राम के लिए चुने गए कट्टी ने 2 जुलाई से 12 अगस्त तक जोहान्सबर्ग विश्वविद्यालय में अनुसंधान और शैक्षिक पहलों का नेतृत्व किया।
कट्टी का काम पौधों पर आधारित नैनो टेक्नोलॉजी के माध्यम से अफ्रीकी चिकित्सा को बढ़ाने पर केंद्रित था। डॉ. कट्टेश ने कहा, 'हमारे उद्देश्य अफ्रीकी चिकित्सा में ग्रीन नैनो टेक्नोलॉजी के निहितार्थों पर फैकल्टी और छात्रों को प्रशिक्षित करने और शिक्षित करने पर केंद्रित थे। हमें लगता है कि हमने इस फुलब्राइट विशेषज्ञ प्रयास के साथ अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर लिया है।'
डॉ. कट्टेश के साथ मिसौरी विश्वविद्यालय (MU) में एक वरिष्ठ शोध वैज्ञानिक और उनकी पत्नी डॉ. कविता कट्टी थीं। डॉ. कट्टेश ने विभिन्न दक्षिण अफ्रीकी विश्वविद्यालयों के 45 से अधिक छात्रों को ग्रीन नैनो टेक्नोलॉजी में प्रशिक्षित किया। जोहान्सबर्ग विश्वविद्यालय में अपने मूल काम के अलावा कट्टी ने अन्य दक्षिण अफ्रीकी विश्वविद्यालयों जैसे, ज़ुलुलैंड और विटवाटरस्रैंड में व्याख्यान भी दिए।
कट्टी ने कहा, 'इस यात्रा ने हमें अंतरराष्ट्रीय मंच पर मिसौरी विश्वविद्यालय के शैक्षिक और शोध कार्यक्रमों को प्रदर्शित करने की अनुमति दी। जोहान्सबर्ग विश्वविद्यालय के प्रोफेसर पैट्रिक बर्का नजोबे और ओलुवाफेमी एडेबो ने कट्टी को सह-मेजबान बनाया। नजोबे ने कहा कि कट्टी का काम पारंपरिक अफ्रीकी इलाज सिस्टम की तरह है और इसने समुदाय पर स्थायी प्रभाव डाला है। कट्टी ने 1984 में भारतीय विज्ञान संस्थान से अपनी पीएचडी पूरी की है। वैश्विक वैज्ञानिक प्रगति में योगदान करते हुए वे अपनी भारतीय जड़ों के साथ पूरी तरह से जुड़े हुए हैं।
Comments
Start the conversation
Become a member of New India Abroad to start commenting.
Sign Up Now
Already have an account? Login