फ्लोरिडा इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी ने भारतीय-अमेरिकी छात्रा राही काशिकर को उन फाइनलिस्ट्स में शामिल किया है, जिनके शोध प्रयोग को इस वर्ष के अंत में इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पर आयोजित किया जा सकता है।
काशिकर एस्ट्रोबायोलॉजी में स्नातक कर रही हैं और अपने रिसर्च पार्टनर एलिजाबेथ हेज़ के साथ मिलकर "एस्ट्रॉयड हैलाइट में राइबोजाइम्स का ट्रांसफर" शीर्षक से एक अनूठा अध्ययन कर रही हैं। यह शोध फ्लोरिडा टेक के स्टूडेंट स्पेसफ्लाइट एक्सपेरिमेंट्स प्रोग्राम (SSEP) के तहत तीन चयनित प्रयोगों में शामिल है, जो अब राष्ट्रीय SSEP बोर्ड के समक्ष प्रस्तुत किए जाएंगे।
शोध का उद्देश्य और महत्व
इस अध्ययन के तहत काशिकर और हेज़ यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि राइबोजाइम्स—जो आरएनए (RNA) अणु होते हैं और रासायनिक अभिक्रियाओं को उत्प्रेरित करने की क्षमता रखते हैं—माइक्रोग्रैविटी में एस्ट्रॉयड हैलाइट में कैसे व्यवहार करते हैं। यह अध्ययन बाह्य अंतरिक्ष में जैव रासायनिक प्रक्रियाओं की गहरी समझ विकसित करने में सहायक हो सकता है और एस्ट्रोबायोलॉजी के क्षेत्र में अहम योगदान दे सकता है।
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फ्लोरिडा टेक के SSEP चयन समिति ने कुल 11 प्रस्तावों की समीक्षा की, जिसमें से तीन को अंतिम दौर के लिए चुना गया। समिति के सदस्य एंड्रयू पामर ने कहा, "इन प्रस्तावों के बीच चयन करना बेहद कठिन था क्योंकि छात्रों ने बारीकियों पर गहरा ध्यान दिया और कड़ी मेहनत की थी।"
राही काशिकर की उपलब्धियां
राही काशिकर, जो फ्लोरिडा टेक में इंटरडिसिप्लिनरी रिसर्च (अंतरविषयक अनुसंधान) में सक्रिय रूप से भाग लेती रही हैं, एस्ट्रोबायोलॉजी और गणितीय विज्ञान का समावेश करते हुए अध्ययन कर रही हैं। उन्होंने पहले NASA के L’SPACE Proposal Writing and Evaluation Experience में भी भाग लिया, जहाँ उन्हें तकनीकी शोध और प्रस्ताव विकास का व्यावहारिक अनुभव प्राप्त हुआ।
शिक्षा के अलावा, काशिकर एस्ट्रोबायोलॉजिकल रिसर्च एंड एजुकेशन सोसाइटी और भारतीय छात्र संघ जैसी संगठनों में भी सक्रिय रूप से भाग लेती हैं।
शैक्षणिक पृष्ठभूमि
राही काशिकर वर्तमान में फ्लोरिडा इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से एस्ट्रोबायोलॉजी और गणितीय विज्ञान में स्नातक कर रही हैं। इससे पहले उन्होंने भौतिकी और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई भी इसी संस्थान से की थी। उनकी स्कूली शिक्षा भारत में ज्ञान प्रबोधिनी प्रशाला और महाराष्ट्र टेक्निकल एजुकेशन सोसाइटी जूनियर कॉलेज में हुई थी।
अंतरिक्ष में नई खोजों की ओर एक कदम
अगर काशिकर और हेज़ का प्रयोग राष्ट्रीय स्तर पर चयनित होता है, तो इसे 2025 में इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर भेजा जाएगा। यह अध्ययन अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है और भारतीय मूल की युवा वैज्ञानिकों की बढ़ती उपस्थिति को और मजबूत करेगा।
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