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भारत और अमेरिका के मजबूत रिश्तों की रीढ़ है भारतवंशी समुदायः अजय जैन भुटोरिया

TiECon 2024 के वार्षिक सम्मेलन में भारतीय मूल के प्रभावशाली अमेरिकी नेता अजय जैन भूटोरिया ने कहा कि भारतीय-अमेरिकी समुदाय के सदस्य इस रिश्ते की रीढ़ हैं।

अजय भुटोरिया ने सैंटा क्लैरा में आयोजित TiECon-2024 में अपने विचार व्यक्त किए। / Image : Facebook

साउथ एशियन व ग्रेटर एशियन अमेरिकी तथा प्रशांत द्वीप समूह समुदाय के प्रभावशाली नेता अजय जैन भूटोरिया ने भारत-अमेरिका के मजबूत संबंधों को रेखांकित करते हुए भारत द्वारा की गई प्रगति की खुले मन से सराहना की है।

TiECon 2024 के वार्षिक सम्मेलन में भूटोरिया ने कहा कि भारतीय-अमेरिकी समुदाय के सदस्य इस रिश्ते की रीढ़ हैं। यह बात मैंने सहायक विदेश मंत्री डोनाल्ड लू से मुलाकात के दौरान भी कही थी। तब उनका कहना था कि यह बात बिल्कुल सच है। लोगों के बीच आपसी संबंध सबसे ज्यादा मजबूती प्रदान करते हैं।

डेमोक्रेटिक नेशनल फाइनेंस कमेटी को लीडरशिप देने वाले भुटोरिया ने कहा कि भारत की कहानी एक सफल देश की कहानी है और दुनिया के तमाम देश अब भारत से सीख सकते हैं। भारत शांति में विश्वास करता है और वह किसी तरह के युद्ध में भी शामिल नहीं रहा है। भारत का आध्यात्मिक पक्ष भी काफी मजबूत है।

भूटोरिया ने पश्चिमी मीडिया के एक हिस्से द्वारा भारत में अल्पसंख्यकों को असुरक्षित बताने के आरोपों की आलोचना की और कहा कि यह सब विभाजनकारी समूहों द्वारा फैलाए जा रहे एजेंडे का हिस्सा है। भारतवंशी नेता ने भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन और अल्पसंख्यक समुदाय के पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम का उदाहरण देते हुए कहा कि भारत धार्मिक पृष्ठभूमि के आधार पर किसी से भेदभाव नहीं करता है।

उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि कुछ विभाजनकारी ताकतों द्वारा भारत की छवि खराब करने के लिए एजेंडा चलाया जा रहा है। वे लोग भारत की कामयाबी की कहानियों को उजागर नही करते हैं। इसके बजाय सड़क पर चलने वाली गायों और सपेरों को मुद्दा बनाने का प्रयास करते है। उन्होंने कहा कि भारत ऐसा नहीं है। भारत अब चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरकर कामयाबी के झंडे गाड़ चुका है। उसने ये मिशन नासा और रूसी अंतरिक्ष एजेंसियों के मुकाबले बेहद कम कम लागत पर करके दिखाया है।

भूटोरिया ने पश्चिमी मीडिया में हिंदू धर्म की गलत व्याख्या के मुद्दे पर भी अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि योग, शाकाहार और त्योहार मनाने जैसी प्रथाएं हिंदू संस्कृति के अभिन्न अंग हैं। ये कट्टरपंथी विचारों को अभिव्यक्त करने के तरीके नहीं हैं। 

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