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पोप के निधन पर भारतवंशी नेताओं ने जताया शोक, विनम्रता-करुणा को किया याद

भारतीय-अमेरिकी नेताओं ने कहा कि शांति और न्याय की पोप की विरासत हमेशा कायम रहेगी।

भारतीय मूल के अमेरिकी नेताओं ने समाज में पोप फ्रांसिस के योगदान को याद किया। / File Photo

भारतीय मूल के वरिष्ठ अमेरिकी नेताओं ने पोप फ्रांसिस के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है और उनकी विनम्रता, करुणा व सामाजिक न्याय के प्रति समर्पण को याद किया है।  

कांग्रेसमैन राजा कृष्णमूर्ति (IL-08) ने पोप के वैश्विक प्रभाव को रेखांकित करते हुए कहा कि पोप फ्रांसिस ने विनम्रता, करुणा और साहस के साथ नेतृत्व प्रदान किया। उनकी सेवाएं सभी सीमाओं और धर्मों से परे थीं। शांति और न्याय की उनकी विरासत हमेशा कायम रहेगी।



वर्जीनिया के जनप्रतिनिधि सुहास सुब्रमण्यम (D-VA) ने कहा कि मैं पोप फ्रांसिस के निधन से दुखी हूं। वह एक महान नेता थे। अपनी करुणा, विनम्रता और लोगों से जुड़ने के लिए प्रसिद्ध थे। उनका कर्मठ जीवन लोगों के लिए एक उम्मीद की तरह था। उनकी ईमानदारी और उद्देश्यपूर्ण विरासत आने वाले वर्षों तक लोगों को प्रेरित करती रहेगी। 



मिशिगन स्टेट प्रतिनिधि श्री थानेदार (MI-13) ने पोप को एक दूरदर्शी नेता बताया और कहा कि सभी के लिए दया और न्याय के प्रति उनके अथक समर्पण ने दुनिया भर में करोड़ों लोगों को प्रेरित किया है।



वर्जीनिया की सीनेटर गजाला हाशमी ने कहा कि पोप फ्रांसिस अक्सर ऐसे लोगों की आवाज उठाते थे जिनकी कोई अपनी कोई ताकत नहीं थी और उनकी सुनवाई नहीं होती थी। उनकी विनम्रता और दयालुता नैतिकता की मिसाल हैं।  



होबोकन के मेयर रवि भल्ला ने कहा कि पोप फ्रांसिस दया और विनम्रता की शक्ति की याद दिलाते थे। दूरियां मिटाकर लोगों को जोड़ने के उनके कार्यों ने करुणा की स्थायी विरासत छोड़ी है। उनकी यादें हमें बेहतर बदलाव के लिए प्रेरित करती रहेंगी। 

न्यूयॉर्क स्टेट की असेंबलीवुमन जेनिफर राजकुमार ने विविध समुदायों पर पोप के प्रभाव का जिक्र करते हुए कहा कि न्यूयॉर्क शहर में हर धर्म के लोग साथ रहते हैं और यहां पोप का करुणामयी संदेश गूंजता था। वह गरीबों, विस्थापितों और भुला दिए गए लोगों के साथ खड़े रहते थे।  

गौरतलब है कि पोप फ्रांसिस का रोम में फेफड़ों की पुरानी बीमारी और डबल निमोनिया के कारण निधन हो गया है। वह 12 साल तक पोप रहे। उनके पोप रहते कैथोलिक चर्च आधुनिकीकरण, हाशिए पर खड़े लोगों की पैरोकारी और धार्मिक संवाद को बढ़ावा देने के प्रयासों के लिए चर्चा में रहा।  

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