भारतीय अमेरिकी समुदाय ट्रम्प प्रशासन के दूसरे कार्यकाल में विकसित हो रहे राजनीतिक परिदृश्य पर बारीकी से नजर रख रहा है। विदेश नीति, व्यापार और संभावित आव्रजन सुधारों को लेकर समुदाय में काफी आशावाद देखने को मिल रहा है। फाउंडेशन फॉर इंडिया एंड इंडियन डायस्पोरा स्टडीज़ (FIIDS) के नीति और रणनीति प्रमुख खंडेराव ने न्यू इंडिया अब्रॉड को बताया, "यह ऐसा एक वर्ग है जो इस चुनाव में बहुत सक्रिय है और यह देख रहा है कि चीजें किस प्रकार से आगे बढ़ रही हैं।" भारतीय-अमेरिकी समुदाय के लिए ट्रम्प का आगामी कार्यकाल मुश्किलें बढ़ाएगा या करेगा आसान... खंडेराव से खास बातचीत-
ग्रीन कार्ड बैकलॉग और एच1-बी वीज़ा पर चिंता
आव्रजन भारतीय अमेरिकी समुदाय के लिए एक अहम मुद्दा बना हुआ है। खंडेराव ने ग्रीन कार्ड बैकलॉग को लेकर समुदाय की निराशा को स्वीकार किया, खासकर एच1-बी वीज़ाधारकों के लिए। उन्होंने कहा, "जो लोग प्रभावशाली सर्कल में हैं, वे समझते हैं कि अमेरिका की प्रतिस्पर्धात्मकता बनाए रखने के लिए तकनीकी प्रवासियों की आवश्यकता है।"
एलन मस्क और विवेक रामास्वामी जैसे प्रमुख हस्तियों का जिक्र करते हुए खंडेराव ने कहा कि ये लोग कृत्रिम बुद्धिमत्ता और साइबर सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में कुशल श्रमिकों के महत्व को समझते हैं। भारतीय अमेरिकी समुदाय, जिसने अमेरिकी तकनीकी उद्योग में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, वीज़ा देरी को कम करने और कुशल श्रमिकों के लिए अधिक रास्ते खोलने की उम्मीद कर रहा है।
FIIDS की प्राथमिकताओं में 7 प्रतिशत देश-विशेष की सीमा को समाप्त करना या I-140 स्वीकृत आवेदकों को रोजगार प्राधिकरण दस्तावेज (EAD) प्रदान करना शामिल है।
अमेरिका-भारत संबंध और ट्रम्प 2.0
खंडेराव ने कहा कि "ट्रम्प 2.0 प्रशासन, मुझे लगता है कि पहले कार्यकाल की तुलना में अधिक परिपक्व और अलग होगा।" उन्होंने यह भी बताया कि ट्रम्प के पहले कार्यकाल में अमेरिका की नीति पाकिस्तान-समर्थक दृष्टिकोण से भारत-समर्थक दृष्टिकोण की ओर स्थानांतरित हुई थी। यह प्रवृत्ति बाइडन प्रशासन के दौरान भी जारी रही है और ट्रम्प के दूसरे कार्यकाल में और मजबूत हो सकती है। उन्होंने भारत की कूटनीतिक स्थिति के महत्व पर जोर दिया, खासकर रूस-यूक्रेन संघर्ष जैसे वैश्विक मुद्दों पर। खंडेराव ने कहा, "इन क्षेत्रों में एक अच्छा सामंजस्य है," और यह भी बताया कि दोनों देश संकट को बातचीत के जरिए हल करने पर जोर देते हैं।
व्यापार और आर्थिक सहयोग
खंडेराव ने स्वीकार किया कि ट्रम्प की "अमेरिका फर्स्ट" नीतियों से कुछ शुल्क तनाव हो सकता है, लेकिन भारत के विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के साथ सहयोग के बड़े अवसर हैं। उन्होंने कहा, "व्यापार हर साल बढ़ रहा है, और भारत अब तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है।" उन्होंने यह भी उम्मीद जताई कि दोनों देश संभावित व्यापार बाधाओं को व्यावहारिक रूप से सुलझा सकते हैं।
भारतीय अमेरिकी राजनीति में एक्टिव
खंडेराव ने कहा कि भारतीय अमेरिकी राजनीति में अधिक सक्रिय हो रहे हैं, खासकर वैश्विक मंच पर अपने धर्म और समुदाय पर हो रहे हमलों और गलत चित्रण के कारण। उन्होंने मंदिरों पर हमले और भारत की नकारात्मक छवि जैसे मुद्दों का जिक्र किया। उन्होंने कहा, "यह मौन असंतोष कुछ लोगों को पूरे राजनीतिक प्रक्रिया में अधिक सक्रिय बना रहा है।"
आशावाद का माहौल
कुल मिलाकर, खंडेराव का मानना है कि राष्ट्रपति ट्रम्प का दूसरा कार्यकाल अमेरिका-भारत संबंधों, विशेषकर विदेश मामलों, व्यापार और आव्रजन सुधारों के लिए एक आशाजनक दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है। उन्होंने कहा, "हम सकारात्मक हैं।"
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