बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमलों के विरोध में सोमवार को वाशिंगटन डीसी में व्हाइट हाउस के सामने बड़ी संख्या में भारतीय अमेरिकियों ने इकट्ठा होकर प्रदर्शन किया।
मार्च का आयोजन StopHinduGenocide.org, बांग्लादेशी प्रवासी समूहों और HinduACTion द्वारा किया गया था। 'बांग्लादेश में हिंदुओं के नरसंहार के खिलाफ मार्च' व्हाइट हाउस के सामने से शुरू होकर कैपिटल हिल पर खत्म हुआ।
रैली में न्यूयॉर्क, वर्जीनिया, मैरीलैंड और वाशिंगटन डीसी से बहुत से लोग बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ जारी अत्याचारों का विरोध करने के लिए एकत्र हुए। इस दौरान लोगों ने वैश्विक समुदाय से बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचारों पर गौर करने और उत्पीड़न रोकने के लिए कदम उठाने का आग्रह किया।
मैरीलैंड निवासी राज पटेल ने कहा कि हिंदु समुदाय दुनिया का सबसे शांतिपूर्ण समुदाय है। पहले मुस्लिम आक्रमण और अंग्रेजों के राज में हिंदुओं का कत्लेआम हुआ। उसके बाद 1971 में बांग्लादेश में और फिर कश्मीर में उन्होंने नरसंहार झेला। अब बांग्लादेश में नरसंहार का सामना कर रहे हैं। अब बहुत हो गया। हमें इसके खिलाफ आवाज उठानी होगी।
पटेल ने वैश्विक नेताओं से हिंदुओं के नरसंहार से आंखें न मूंदने का आग्रह करते हुए कहा कि यह बहुत महत्वपूर्ण है। हम इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे। हम बांग्लादेश में कार्रवाई का अनुरोध करते हैं। हमें अमेरिका के निर्वाचित राष्ट्रपति ट्रम्प से बहुत उम्मीदें हैं।
एक प्रदर्शनकारी शुवो रॉय ने अमेरिकी प्रशासन से बांग्लादेश के अंतरिम नेता मुहम्मद यूनुस पर दबाव डालने का आह्वान किया ताकि इस्कॉन के संत चिन्मय कृष्ण दास को रिहा किया जा सके।
एक प्रदर्शनकारी का कहना था कि यह शर्मनाक है कि संयुक्त राष्ट्र और अमेरिकी सरकार जैसे वैश्विक संस्थान हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार को लेकर चुप हैं। उन्होंने बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों की रक्षा करने का अपना दायित्व छोड़ दिया है।
Scores of Indian Americans on Dec.9 gathered in front of the White House in Washington DC to protest against attacks on Hindus in Bangladesh. Raj Patel, an Indian American from Maryland, emphasized that Hindu lives matter and that Hindus are the most peaceful community in the world. The protest was part of the "March Against Genocide of Hindus in Bangladesh” campaign held on the International Day of Commemoration for Genocide Victims. / Courtesy Photosसनातनी हिंदू सोसाइटी की सदस्य पाउला साहा ने कहा कि बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस एक उल्लेखनीय हस्ती हैं। मेरी डॉ. यूनुस से अपील है कि हिंदू समुदाय की रक्षा के लिए निर्णायक कदम उठाएं। यदि अत्याचार जारी रहे तो आक्रोश और विभाजन को बढ़ावा ही मिलेगा।
भारतीय-अमेरिकी नित्यानंद चौधरी ने दावा किया कि बांग्लादेश में 24 हिंदुओं की बेरहमी से हत्याएं हो चुकी हैं। न्यू इंडिया अब्रॉड से बात करते हुए चौधरी ने कहा कि घरों को गिराया जा रहा है। मुझे लगता है कि इस मुद्दे को उठाना मेरा कर्तव्य है।
समूह ने 14 संगठनों द्वारा तैयार एक विस्तृत रिपोर्ट पेश की और संयुक्त राष्ट्र के शांति अभियान विभाग को सौंपा। रिपोर्ट में संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिकों के रूप में बांग्लादेशी सशस्त्र बलों की तैनाती पर तत्काल रोक लगाने की मांग की गई है।
प्रदर्शनकारियों ने एशियाई विकास बैंक, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक सहित अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों से भी आग्रह किया कि वे बांग्लादेश को आगे ऋण देने से पहले उसे अपने अंतरराष्ट्रीय दायित्वों और सिद्धांतों का उल्लंघन करने के लिए जवाबदेह ठहराना चाहिए।
प्रदर्शनकारियों ने ज़ारा, एच एंड एम, केल्विन क्लेन, एबरक्रॉम्बी एंड फिच, गैप, मैसीज, वॉलमार्ट और टारगेट सहित ग्लोबल ब्रांड्स से बांग्लादेश के साथ अपने व्यापारिक संबंधों पर फिर से विचार करने की भी अपील की। उनका कहना था कि रेडीमेड कपड़ों का 48 बिलियन डॉलर का निर्यात उद्योग मानव जीवन की कीमत पर नहीं चलाई जानी चाहिए। ये उत्पाद धार्मिक अल्पसंख्यकों के खून से सने हैं।
प्रदर्शन में शामिल डॉ. कंचन आनंद ने कहा कि जब मैं अस्पताल जाती हूं तो मरीजों के धर्म को नहीं देखती। मैं उनसे नहीं पूछती कि आप हिंदू हैं या मुसलमान, ईसाई हैं या सिख। हम सभी की जान बचाते हैं। अब बांग्लादेश में लोगों को इस तरह मरते हुए देखकर मेरा दिल टूट जाता है।
वॉशिंगटन डीसी के मधु गोविल ने चिंता जताते हुए कहा कि जब से बांग्लादेश में सरकार बदली है, तब से सैकड़ों-हजारों हिंदू मारे जा रहे हैं, महिलाओं का बलात्कार हो रहा है। लेकिन प्रमुख मीडिया संगठन चुप्पी साधे हुए हैं जो बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है।
हिंदू समुदाय की सदस्य कंचन चौधरी ने कहा कि मैं बांग्लादेश सरकार से बस इतना कहना चाहती हूं कि हिंदुओं को मारना बंद करो। हम शांति चाहते हैं और हिंदू बहुत शांतिप्रिय लोग हैं।
क्लिंटन चौधरी ने कहा कि यह पहली बार नहीं है जब इस तरह के अत्याचार हुए हैं। 1971 से ऐसा ही हो रहा है। बांग्लादेश में हिंदुओं को कभी भी उनका सही स्थान या सुरक्षा नहीं मिली है। वर्षों से सरकारों ने हिंदुओं को ढाल के रूप में इस्तेमाल किया है, लेकिन इस पर रोक लगनी चाहिए।
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