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2024 के लिए चुने गए मूर इन्वेंटर फेलो में तीन भारतीय-अमेरिकी वैज्ञानिक शामिल

कर्तीश मंथिरम कैलटेक में केमिकल इंजीनियरिंग और केमिस्ट्री के प्रोफेसर हैं। साद भामला जॉर्जिया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में केमिकल एंड बायोमॉलिक्यूलर इंजीनियरिंग के असिस्टेंट प्रोफेसर हैं। वेद चिरायथ, नेशनल ज्योग्राफिक एक्सप्लोरर और मियामी विश्वविद्यालय में प्रोफेसर हैं।

भारतीय मूल के प्रतिभाशली वैज्ञानिक साद भामला, कर्तीश मंथिरम और वेद चिरायथ। / mage- Gordon and Betty Moore Foundation

गॉर्डन एंड बेट्टी मूर फाउंडेशन ने 2024 के मूर इन्वेंटर फेलो का एलान किया है। इनमें तीन भारतीय अमेरिकी कर्तीश मंथिरम, साद भामला और वेद चिरायथ शामिल हैं। फेलोशिप के तहत तीनों को तीन साल में US$ 825,000 दिए जाएंगे जिससे ये वैज्ञानिक खोज और तकनीकी प्रगति में अपनी नई परियोजनाओं को आगे बढ़ा सकेंगे। इसमें उनके घरेलू संस्थानों से सालाना रूप से US$ 50,000 भी शामिल हैं।

कर्तीश मंथिरम कैलटेक में केमिकल इंजीनियरिंग और केमिस्ट्री के प्रोफेसर हैं। उन्हें अपने उपलब्धि के लिए मान्यता मिली है, जो नई पीढ़ी के कैटलिस्ट को विकसित करने पर केंद्रित हैं। जिसका लक्ष्य अधिक सुरक्षित और टिकाऊ रासायनिक निर्माण प्रक्रियाएं बनाना है। उनके रिसर्च में आवश्यक निर्माण इकाई रासायनों, जैसे एपॉक्साइड के उत्पादन को इलेक्ट्रिफाइंग और कार्बनमुक्त करना शामिल है।

मंथिरम का कहना है कि हम बिजली शक्ति से चलने वाला जो माध्यम विकसित कर रहे हैं वह एपॉक्साइड निर्माण में सुरक्षा जोखिमों और कार्बन फूटप्रिंट को खत्म कर देगा। यह टिकाऊ और सुरक्षित रासायनिक संश्लेषण के लिए एक माध्यम प्रदान करेगा।

साद भामला जॉर्जिया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में केमिकल एंड बायोमॉलिक्यूलर इंजीनियरिंग के असिस्टेंट प्रोफेसर हैं। उन्हें 'फ्रूगल साइंस' में अपने योगदान के लिए सम्मानित किया गया है, जो वैश्विक स्वास्थ्य चुनौतियों को दूर करने के लिए लो-काॅस्ट उपकरण बनाता है। उनके उल्लेखनीय आविष्कारों में मलेरिया निदान और टीका वितरण के लिए सस्ती चिकित्सा तकनीकें शामिल हैं।

भामला ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) बॉम्बे से अपनी स्नातक की डिग्री पूरी की है। उन्होंने कहा कि इस सम्मान के लिए आभारी और अपनी टीम के सदस्यों के साथ कुछ प्रभावशाली काम करने के लिए उत्साहित हूं। वेद चिरायथ, नेशनल ज्योग्राफिक एक्सप्लोरर और मियामी विश्वविद्यालय में प्रोफेसर हैं। उन्हें अपनी भूमिगत इमेजिंग तकनीक के लिए मान्यता दी गई है। यह तकनीक वैज्ञानिकों को समुद्र की लहरों के माध्यम से देखने और हवा से समुद्री जीवों और समुद्री तल का निरीक्षण करने की अनुमति देती है। उनके काम में समुद्री नक्शे बनाने में क्रांति लाने की क्षमता है।

चिरायथ ने सोशल मीडिया पर कहा कि आज एक शानदार वैज्ञानिकों-आविष्कारकों के समूह के साथ मूर इन्वेंटर फेलो के रूप में चुने जाने पर सम्मानित हुआ, जो अपने क्षेत्रों में कुछ बड़ी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं।

गॉर्डन एंड बेट्टी मूर फाउंडेशन के अध्यक्ष, हार्वे V. फाइनबर्ग ने एक बयान में कहा कि लगभग 200 आवेदकों में से चुने गए प्रत्येक मूर इन्वेंटर फेलो को अपनी परिवर्तनकारी तकनीकों को विकसित करने के लिए समर्थन मिलता है। मूर इन्वेंटर फेलोशिप आज की चुनौतियों का सामना करने और एक बेहतर भविष्य को आकार देने के लिए जरूरी बुद्धिमत्ता और रचनात्मकता का समारोह मनाता है।

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