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अमेरिका में शरण मांगने वाले भारतीयों की संख्या में इजाफा, तीन साल में 855% की बढ़ोतरी

भारतीय शरणार्थी आवेदनों की संख्या 2021 के वित्तीय वर्ष में 4,330 से बढ़कर 2023 के वित्तीय वर्ष में 41,330 हो गई है। ये 855 प्रतिशत की बढ़ोतरी है। भारतीय अधिकारियों का कहना है कि इन आवेदकों में से लगभग आधे गुजरात से आते हैं।

अमेरिकी होमलैंड सिक्योरिटी डिपार्टमेंट (DHS) के आंकड़े एक बड़े बदलाव को दर्शाते हैं। / Pew Research Center

पिछले तीन वर्षों में अमेरिका में शरण मांगने वाले भारतीयों की संख्या में जबरदस्त इजाफा हुआ है। ये अमेरिकी सपने का लुभावना आकर्षण है, जबकि वास्तविकता में कई चुनौतियां कायम हैं। अमेरिकी होमलैंड सिक्योरिटी डिपार्टमेंट (DHS) के आंकड़े एक बड़े बदलाव को दर्शाते हैं। भारतीय शरणार्थी आवेदनों की संख्या 2021 के वित्तीय वर्ष में 4,330 से बढ़कर 2023 के वित्तीय वर्ष में 41,330 हो गई है। ये 855 प्रतिशत की बढ़ोतरी है। भारतीय अधिकारियों का कहना है कि इन आवेदकों में से लगभग आधे गुजरात से आते हैं।

2023 में, भारतीयों को रक्षात्मक (डिफेंसिव) शरण के लिए आवेदन करने वाले पांचवें सबसे बड़े राष्ट्रीयता समूह और सकारात्मक (अफर्मेटिव) शरण के लिए सातवें सबसे बड़े राष्ट्रीयता समूह के रूप में स्थान दिया गया। अक्टूबर में प्रकाशित डीएचएस की 2023 सालाना रिपोर्ट ने पुष्टि की कि अकेले उस वर्ष में 5,340 भारतीयों को शरण दी गई थी।

बढ़ोतरी का यह रूझान 2021 के वित्तीय वर्ष में शुरू हुआ था, जब 4,330 भारतीय शरणार्थी आवेदकों का रेकॉर्ड था। इसमें 2,090 'अफर्मेटिव' आवेदन थे जो यूएस सिटिजनशिप एंड इमिग्रेशन सर्विसेज को दिए गए थे। इनमें 2,240 'डिफेंसिव' आवेदन थे। इसके साथ ही अगले साल, यह आवेदन लगभग तीन गुना बढ़कर 14,570 हो गए। इनमें 5,370 'अफर्मेटिव' और 9,200 'डिफेंसिव' आवेदन थे। 2023 के वित्तीय वर्ष तक, भारतीय शरणार्थी आवेदन 41,330 के एक नए शिखर पर पहुंच गए थे। यह पिछले साल के कुल आंकड़े से लगभग तीन गुना ज्यादा था। 

इसी तरह, शरणार्थी मंजूरी भी बढ़ी हैं। 2021 के वित्तीय वर्ष में 1,330 भारतीयों को शरण दी गई थी। इनमें 700 'अफर्मेटिव' आवेदनों के माध्यम से और 630 'डिफेंसिव' कार्रवाई के माध्यम से शरण दी गई थी। यह आंकड़ा 2022 के वित्तीय वर्ष में तीन गुना से भी ज्यादा बढ़कर 4,260 हो गया। इनमें 2,180 'अफर्मेटिव' और 2,080 'डिफेंसिव' मंजूरी शामिल थीं। 2023 के वित्तीय वर्ष में यह रुझान जारी रहा और 5,340 भारतीयों को शरण मिली। इनमें 2,710 'अफर्मेटिव' और 2,630 'डिफेंसिव' मामले शामिल थे। इस तरह से भारत 'डिफेंसिव असाइलम'  मंजूरी पाने वाले पांचवें सबसे बड़े देश के रूप में स्थापित हो गया।

 

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