अमेरिका और भारत के संबंध हर क्षेत्र में मजबूत हुए हैं। इनमें एविएशन सेक्टर भी है। एविएशन सेक्टर में दोनों देश किस तरह सहयोग कर रहे हैं और ग्लोबल इकोनमी में योगदान दे रहे हैं, 7वें यूएस-इंडिया एविएशन समिट में इस पर महत्वपूर्ण चर्चा की गई। इस दौरान अमेरिका के ट्रेड एंड डेवलपमेंट एजेंसी (USTDA) की डायरेक्टर एनोह टी. एबोंग ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
समिट में अमेरिका-भारत के 250 से ज्यादा सरकारी एवं कारोबारी प्रतिनिधियों की मौजूदगी में एबोंग ने कहा कि अमेरिका में रहने वाले भारतीय मूल के लोगों से देश के विमानन क्षेत्र को बहुत लाभ हो रहा है। अमेरिका और भारत के रिश्तों को मजबूत बनाने में यहां रहने वाले प्रवासियों को बड़ा योगदान है। उन्होंने दोनों देशों के बीच ऐसे सांस्कृतिक, शैक्षणिक और व्यावसायिक संबंध बनाए हैं जो पीढ़ियों तक कायम रहेंगे।
अमेरिका-भारत विमानन सहयोग कार्यक्रम (एसीपी) की चर्चा करते हुए एबोंग ने कहा कि 2007 में स्थापना के बाद से यूएसटीडीए ने भारत में कई परियोजनाओं का सपोर्ट किया है। इनमें हरियाणा के हिसार में हाल ही में एकीकृत विमानन केंद्र की स्थापना भी शामिल है। उन्होंने कहा कि एसीपी के तहत भले ही 40 से ज्यादा गतिविधियों पर काम हो रहा है, लेकिन ये तो सहयोग की बस शुरुआत है।
एबोंग ने प्रतिभागियों से महत्वाकांक्षी योजनाएं बनाने और रणनीतिक रूप से उन पर अमल करने का आग्रह करते हुए कहा कि यह समिट हमारी पारस्परिक लाभप्रद विमानन साझेदारी के अगले अध्याय का खाका तैयार करने का एक बड़ा अवसर है। हमें उम्मीद है कि सीमापार का ये सहयोग दोनों देशों के विमानन क्षेत्र में आशावाद का नया अध्याय लिखेगा।
भारतीय नागरिक उड्डयन मंत्रालय के सचिव वुमलुनमांग वुलनाम ने समिट में कोविड महामारी के बाद देश के विमानन उद्योग में आई तेजी का जिक्र करते हुए कहा कि घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों ही तरह की उड़ानों में यात्रियों की संख्या कोविड-19 से पहले के स्तर पर पहुंच गई है।
उन्होंने सस्टेनेबल एविएशन के प्रति भारत की प्रतिबद्धता जाहिर करते हुए एविएशन टरबाइन फ्यूल और सस्टेनेबल एविएशन फ्यूल (एसएएफ) के मिश्रण के महत्वाकांक्षी लक्ष्यों की जानकारी देते हुए बताया कि इसे 2027 तक 1 प्रतिशत, 2028 तक 2 प्रतिशत और 2030 तक 5 प्रतिशत करने का लक्ष्य है। भारत के पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के सहयोग से की जा रही ये ह पहल जलवायु परिवर्तन लक्ष्यों के प्रति भारत के समर्पण को दर्शाती है।
वुलनान में भारत में रीजनल कनेक्टिविटी योजना (आरसीएस) की सफलता का जिक्र करते हुए बताया कि 569 नए हवाई मार्ग खोले गए हैं, जो 85 हवाई अड्डों को जोड़ते हैं और वाटर एयरोड्रोम व हेलीपोर्ट तक फैले हैं। उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय कनेक्टिविटी योजना के तहत 269,000 से अधिक उड़ानों में 1.39 करोड़ यात्री सफर कर चुके हैं।
उन्होंने इमरजेंसी चिकित्सा सेवाओं में सुधार के महत्वपूर्ण कदम के तहत प्रोजेक्ट संजीवनी की भी जानकारी दी, जिसके तहत पहाड़ी इलाकों में मेडिकल मदद बढ़ाने के लिए उत्तराखंड में एचईएमएस हेलीकॉप्टरों को तैनात जाना है। उन्होंने भारतीय एविएशन सेक्टर में महिलाओं की बढ़ती भूमिका को भी रेखांकित किया और बताया कि पिछले साल भारत में जारी कमर्शल पायलट लाइसेंस में से 20 प्रतिशत महिलाओं को दिए गए थे। इतना ही नहीं, देश में 30 प्रतिशत एविएटर महिलाए हैं। यह उपलब्धि भारत को विमानन क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी के मामले में विश्व स्तर पर सबसे आगे रखती है।
अमेरिकी परिवहन सुरक्षा प्रशासन (टीएसए) के प्रशासक डेविड पेकोस्के ने विमानन सुरक्षा एवं दक्षता बढ़ाने में अंतर्राष्ट्रीय भागीदारी के महत्व पर जोर दिया और स्थानीय स्तर पर सहयोग बढ़ाने एवं संकट प्रबंधन के लिए दिल्ली स्थित अमेरिकी दूतावास में एक टीएसए प्रतिनिधि रखने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि हमारी साझेदारी को मजबूत करने के लिए स्थानीय बातचीत महत्वपूर्ण है। एक्सपर्ट के रूप में ये टीएसएआर सुरक्षा निवेश एवं प्रक्रियाओं पर सलाह दे सकते हैं, संकट में मदद कर सकते हैं और परिवहन सुरक्षा से जुड़े विवादास्पद मुद्दों को हल कर सकते हैं।
यूएस फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन (एफएए) के प्रशासक माइकल व्हाइटेकर ने एविएशन में अमेरिका-भारत के संबंधों की मजबूती को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि 1990 के दशक में यूनाइटेड एयरलाइंस की शिकागो-दिल्ली-हांगकांग सेवा शुरू होने के बाद से अब भारत में घरेलू हवाई यातायात 143 मिलियन से बढ़कर 375 मिलियन हो चुका है।
व्हाइटेकर ने कहा कि ये समय विमानन क्षेत्र के पुनर्जागरण का है, जहां अधिक से अधिक लोगों को हवाई यात्रा सुलभ हो रही है। उन्होंने कहा कि सुरक्षा जैसे कुछ मुद्दों पर हमें मिलकर काम करने की जरूरत है। विशेष तौर पर हवाई क्षेत्र में नई तकनीकों को शामिल करने और इनोवेशन को अपनाने की आवश्यकता है।
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT
Comments
Start the conversation
Become a member of New India Abroad to start commenting.
Sign Up Now
Already have an account? Login