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USCIRF में एक भी हिंदू क्यों नहीं, भारतीय प्रवासी संगठन के प्रमुख ने उठाए सवाल

फाउंडेशन फॉर इंडिया एंड इंडियन डायस्पोरा (FIIDS) के नीति और रणनीति प्रमुख खांडेराव कंद ने कहा कि दुनिया में इतनी बड़ी हिंदू आबादी होने के बावजूद USCIRF में कोई हिंदू सदस्य नहीं है। इस कारण USCIRF भारत और हिंदुओं के बारे में गलत और एकतरफा रिपोर्ट प्रकाशित करता रहा है।

फाउंडेशन फॉर इंडिया एंड इंडियन डायस्पोरा (FIIDS) के नीति और रणनीति प्रमुख खांडेराव कंद। / Courtesy Photo

फाउंडेशन फॉर इंडिया एंड इंडियन डायस्पोरा (FIIDS) के नीति और रणनीति प्रमुख खांडेराव कंद ने अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग (USCIRF) में सामुदायिक प्रतिनिधित्व को लेकर इसकी आलोचना की है। New India Abroad से बातचीत में उन्होंने आरोप लगाया है कि दुनिया में इतनी बड़ी हिंदू आबादी होने के बावजूद USCIRF में कोई हिंदू सदस्य नहीं है। इस कारण USCIRF भारत और हिंदुओं के बारे में गलत और एकतरफा रिपोर्ट प्रकाशित करता रहा है।

खांडेराव ने कहा कि दुनिया की आबादी में छठे हिस्से के लोग हिंदू धर्म मानने वाले हैं। फिर भी आयोग में कोई हिंदू सदस्य नहीं है। USCIRF ने 17 मई को अपने आयोग में तीन नए सदस्यों - मौरिन फर्ग्यूसन, आसिफ महमूद और विकी हार्ट्जलर के नियुक्ति की घोषणा की। साथ ही एरिक उलेनड और स्टीफन श्नेक के कार्यकाल को फिर से बढ़ा दिया गया। उन्होंने कहा कि दुनिया के हर छह लोगों में से एक हिंदू धर्म को मानने वाले हैं। लेकिन यह प्रतिनिधित्व आयोग में नहीं है। यह आयोग की रिपोर्ट में विविधता लाने और उचित संतुलन बनाने में एक बड़ी चूक होगी।

1 मई को USCIRF ने सिफारिश की थी कि विदेश विभाग अफगानिस्तान, अजरबैजान, भारत, नाइजीरिया और वियतनाम को 'विशेष चिंता वाले देशों' (CPCs) के रूप में नॉमिनेट करे। इसकी वजह बताते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि ये देश 'विशेष रूप से गंभीर' धार्मिक स्वतंत्रता उल्लंघनों में शामिल हैं या उन्हें सहन करते हैं।

दिसंबर 2023 में बारह देशों को CPC के रूप में नॉमिनेट किया गया था। इनमें बर्मा, चीन, क्यूबा, इरिट्रिया, ईरान, निकारागुआ, उत्तर कोरिया, पाकिस्तान, रूस, सऊदी अरब, ताजिकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान शामिल थे। उस समय USCIRF ने निराशा व्यक्त की कि भारत और नाइजीरिया को CPC के रूप में नामित नहीं किया गया था।

खांडेराव कंद ने रिपोर्ट पर नाराजगी जताते हुए कहा कि ये तो गलत बात है। अगर बोर्ड में असली जानकार लोग होते। सब तरह के लोग होते, तो रिपोर्ट सही और निष्पक्ष होती। लेकिन ऐसा लग रहा है कि ये लोग बस अपनी मनगढ़ंत कहानी बना रहे हैं।

उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि जैसे, पिछले साल भारत में एक भी हिंदू-मुस्लिम दंगा नहीं हुआ। दरअसल, भारत का इतिहास दंगों से भरा पड़ा है, लेकिन रिपोर्ट में इसके सकारात्मक पहलुओं पर जोर नहीं दिया जा रहा है। रिपोर्ट में बहुत सारी चीजें गलत तरीके से पेश की गई हैं। मुझे लगता है कि इस वजह से रिपोर्ट पक्षपाती है।

उन्होंने यह भी कहा कि दुनिया भर में भारतीय आज अपनी भारतीय पहचान पर बहुत गर्व महसूस करते हैं। उन्होंने इस एकता के लिए भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को श्रेय दिया। उन्होंने कहा कि आज दुनिया भर में भारतीय अपनी पहचान पर बहुत गर्व महसूस कर रहे हैं। मुझे लगता है कि पिछले दो कार्यकालों में प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व का बहुत बड़ा योगदान है। उन्होंने वास्तव में एक नया परिवरर्तन लाया। न सिर्फ भारतीय-अमेरिकियों, बल्कि दुनिया भर के भारतीय मूल के लोगों में आत्मविश्वास पैदा किया, क्योंकि अब उनका सम्मान हो रहा है।

उन्होंने कहा कि आज भारत सिर्फ मजबूत नहीं है, बल्कि विभिन्न मुद्दों पर भारत का रुख भी सराहा जा रहा है। भारत जलवायु परिवर्तन के मामले में शानदार प्रगति कर रहा है। भारत अपना बुनियादी ढांचा विकसित कर रहा है। जब भारतीय मूल के लोग अब भारत आते हैं, तो एयरपोर्ट से लेकर बुनियादी ढांचे और शिक्षा तक, वे उल्लेखनीय प्रगति देखते हैं। निश्चित रूप से उन्होंने 'मेक इन इंडिया', 'डिजिटल इंडिया', 'स्टार्टअप इंडिया' जैसे मूवमेंट को देखा है।

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