भारत में मंगलवार को पेश होने वाले आम बजट से एक दिन पहले संसद में इकनोमिक सर्वे पेश किया गया। इसकी एक खास बात ये रही कि भारत के चीफ इकनोमिक एडवाइजर वी अनंत नागेश्वर ने देश में चीन से अधिक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की वकालत की है।
गौरतलब है कि भारत और चीन के बीच सीमा विवाद की वजह से साल 2020 से चीन से अरबों डॉलर की निवेश योजनाओं को दोनों देशों के बीच भू-राजनीतिक तनाव के कारण बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है।
भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार वी. अनंत नागेश्वरन ने सोमवार को संसद में पेश सालाना आर्थिक सर्वेक्षण में कहा कि भारत को अपना वैश्विक निर्यात बढ़ाने के लिए या तो चीन की सप्लाई चेन से जुड़ना चाहिए या फिर चीन से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को बढ़ावा देना चाहिए।
उन्होंने आगे कहा कि इन दोनों विकल्पों में चीन से एफडीआई लेना भारत का अमेरिका में निर्यात बढ़ाने के लिए अधिक आशाजनक साबित हो सकता है। पूर्वी एशियाई अर्थव्यवस्थाएं पहले भी ऐसा कर चुकी हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि एफडीआई रणनीति को चुनना व्यापार पर भरोसा करने की तुलना में अधिक फायदेमंद लगता है क्योंकि इससे बीजिंग के साथ भारत के बढ़ते व्यापार घाटे को कम किया जा सकता है।
भारत ने साल 2020 से चीनी कंपनियों के लिए निवेश जांच को बेहद कड़ा कर रखा है। मोदी सरकार ने ये कदम लद्दाख में अनिर्धारित सीमा पर सैनिकों के बीच हुई झड़पों के बाद उठाया था।
निवेश जांच के साथ ही भारत ने 2020 से सभी चीनी नागरिकों को वीजा देना भी कम कर दिया है। हालांकि वह चीन के तकनीशियनों के लिए वीजा शर्तें आसान बनाने पर विचार कर रहा है क्योंकि इसकी वजह से अरबों डॉलर के निवेश में अड़चनें आ रही हैं।
पश्चिमी देश वैश्विक मैन्यूफैक्चरिंग और सप्लाई चेन में चीन के ऊपर अपनी निर्भरता कम करने के लिए कई वैकल्पिक आयात रास्ते तलाश रहे हैं।
केंद्रीय बैंक के आंकड़ों के अनुसार, भारत का शुद्ध एफडीआई प्रवाह वित्त वर्ष 2024 में 62.17% घटकर 10.58 बिलियन डॉलर रह गया है, जो 17 साल का निचला स्तर है। इससे पिछले वर्ष यह 27.98 बिलियन डॉलर था।
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