भारत में नई सरकार बनने के बाद 23 जुलाई को आम बजट पेश किया जाना है। कहा जा रहा है कि कई वजहें हैं जो वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को 2024-25 के बजट में खर्च बढ़ाने के लिए प्रेरित कर सकते हैं। इनमें प्रमुख उभरती अर्थव्यवस्थाओं के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था का सबसे तेज दर से बढ़ना और कर से प्राप्तियां अधिक होना शामिल है।
बजट में केंद्रीय बैंक से बंपर लाभांश भुगतान और कर राजस्व में वृद्धि के बाद ग्रामीण आवास जैसे बुनियादी ढांचे एवं कल्याण कार्यक्रमों पर खर्च में वृद्धि देखने को मिल सकती है। हालांकि सीतारमण अंतरिम बजट में राजकोषीय घाटे के लक्ष्यों पर टिके रह सकती हैं।
भारतीय अर्थव्यवस्था के बारे में कुछ तथ्य इस प्रकार हैं:
आर्थिक विकास
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए अपने विकास पूर्वानुमान को 7% से बढ़ाकर 7.2% कर दिया है, जो निजी खपत में बढ़ोतरी, मजबूत निवेश और निर्यात में इजाफे से प्रेरित है। इसी तरह अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने रेटिंग एजेंसियों और निजी अर्थशास्त्रियों के हालिया अपडेट के अनुरूप 2024-25 के लिए भारत के विकास पूर्वानुमान को 6.8% से संशोधित करके 7% कर दिया है। एसएंडपी को उम्मीद है कि अगले तीन वर्षों में भारत की अर्थव्यवस्था सालाना लगभग 7% की दर से बढ़ेगी।
मुद्रास्फीति
भारत में खुदरा मुद्रास्फीति 2022 में 7% से अधिक थी, जो घटकर लगभग 5% हो गई है। फिर भी खाद्य मुद्रास्फीति लगभग 9% के उच्च स्तर पर लगातार बनी हुई है। इससे सबसे ज्यादा ग्रामीण और कम आय वाले शहरी परिवार प्रभावित होते हैं। मुद्रास्फीति की उच्च दर और वास्तविक मजदूरी में न्यूनतम वृद्धि की वजह से आरबीआई द्वारा ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद कम ही है।
राजकोषीय घाटा
भारत का केंद्रीय राजकोषीय घाटा, जो कोरोना महामारी के दौरान सकल घरेलू उत्पाद के 9% से अधिक था, इस मौजूदा वित्त वर्ष में लगभग 5% रहने का अनुमान है। हालांकि केंद्र व राज्यों के संयुक्त राजकोषीय घाटे का अनुमान सकल घरेलू उत्पाद का 7.9% है, जो बड़े ऋण स्टॉक और उच्च ब्याज के बोझ को दर्शाता है और राज्य के खर्च में वृद्धि की क्षमता को प्रभावित करता है।
उच्च बेरोजगारी दर
विनिर्माण और सेवा क्षेत्र में रोजगार में बढ़ोतरी के बावजूद शिक्षित युवाओं के बीच उच्च बेरोजगारी दर एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के लिए एक चुनौती बनी हुई है। मार्च की पहली तिमाही में 15-29 आयु वर्ग के शहरी युवाओं की बेरोजगारी दर 17% थी। निजी एजेंसियों का सुझाव है कि वास्तविक दर इससे भी अधिक हो सकती है। अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के अनुमानों के अनुसार, भारत की समग्र बेरोजगारी दर कई दशकों से चीन की तुलना में बहुत अधिक है। इसकी वजह से लाखों लोग कम वेतन वाली कृषि एवं अनौपचारिक क्षेत्र की नौकरियों में फंसे हुए हैं।
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार
वैश्विक मंदी और भू-राजनीतिक जोखिमों की चिंताओं के बावजूद भारत का वस्तु एवं सेवाओं का निर्यात लगातार बढ़ रहा है। मार्च 2025 को समाप्त हुए वित्त वर्ष में निर्यात 800 बिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है, जो पिछले वित्त वर्ष में 778.2 बिलियन डॉलर था। सेवाओं के बढ़ते निर्यात और निजी हस्तांतरण प्राप्तियों ने भारत को चालू खाते में संतुलन बनाने में मदद की है, जो मार्च तक के तीन महीनों में 10 तिमाहियों में पहली बार 5.7 बिलियन डॉलर सरप्लस दिखा रहा है।
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