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अमेरिका के टॉप फैकल्टी मेंबर्स बनेंगे भारतीय छात्रों व शोधकर्ताओं के मेंटर, दूतावास की अनोखी पहल

प्रवक्ता ने कहा कि हमें उम्मीद है कि इस पहल के माध्यम से हम भारतीय विश्वविद्यालयों विशेष रूप से छोटे शहरों और कस्बों में रहने वाले विद्यार्थियों को शीर्ष अमेरिकी विश्वविद्यालयों के साथ जोड़ने में सक्षम हो सकेंगे। 

इस पहल का उद्देश्य भारतीय विश्वविद्यालयों के छात्रों और शोधकर्ताओं के बीच की खाई को पाटना है। / representative image : unsplash

वाशिंगटन डीसी स्थित भारतीय दूतावास ने MARG यानी अकादमिक उत्कृष्टता एवं अनुसंधान मार्गदर्शन परामर्श नाम से एक अनूठी वर्चुअल मेंटरिंग सीरीज की शुरुआत की है। इस पहल का उद्देश्य भारतीय विश्वविद्यालयों के छात्रों और शोधकर्ताओं के बीच की खाई को पाटना है, खासकर छोटे शहरों और कस्बों में। 

भारत के शिक्षा मंत्रालय और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) के सहयोग से संचालित इस अभियान को अमेरिका के टॉप विश्वविद्यालयों के प्रसिद्ध भारतीय एवं भारतीय मूल की फैकल्टी के साथ मिलकर अंजाम दिया जाएगा। 

इस सीरीज को इस उद्देश्य से तैयार किया गया है ताकि भारतीय छात्रों को स्टडी के क्षेत्र की लेटेस्ट अपडेट्स और ज्ञान, करियर, कौशल और अनुसंधान के अवसर मिल सकें। साथ ही स्टैनफोर्ड, पर्ड्यू, मैरीलैंड विश्वविद्यालय और जॉर्ज मेसन विश्वविद्यालय जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों के विशेषज्ञों के साथ उनका सीधा जुड़ाव हो सके। 

प्रवक्ता ने बताया कि हमें उम्मीद है कि इस पहल के माध्यम से हम भारतीय विश्वविद्यालयों विशेष रूप से छोटे शहरों और कस्बों में रहने वाले विद्यार्थियों को शीर्ष अमेरिकी विश्वविद्यालयों के साथ जोड़ने में सक्षम हो सकेंगे। 

इसका उद्देश्य छात्रों और शोधकर्ताओं को अमेरिकन फैकल्टी की विशेषज्ञताओं का लाभ दिलवाना और टेक्नोलोजी के महत्वपूर्ण क्षेत्रों में प्रगति तक पहुंच प्रदान करना है। 

MARG सीरीज के उद्घाटन सत्र में भारतीय मिशन की उप प्रमुख राजदूत श्रीप्रिया रंगनाथन ने सेमीकंडक्टर, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) और मशीन लर्निंग, हाई परफॉर्मेंस कंप्यूटिंग, क्वांटम साइंस, बायो इंजीनियरिंग, स्वच्छ ऊर्जा और एडवांस मटीरियल जैसी महत्वपूर्ण एवं उभरती टेक्नोलोजी में भारत-अमेरिका के बीच बढ़ते सहयोग पर जोर दिया। 

उन्होंने कहा कि ये क्षेत्र दोनों देशों के बीच अकादमिक एवं अनुसंधान साझेदारी को मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण हैं। इस सम्मेलन में भाग लेने वाले भारतीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियों और निदेशकों ने भी उम्मीद जताई कि मेंटरिंग सेशन से इन महत्वपूर्ण क्षेत्रों में शिक्षण, कौशल और अनुसंधान में लगे छात्रों और फैकल्टी मेंबर्स को बहुत लाभ होगा।
 

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